मैमंग दई

अरुणाचल प्रदेश की अंग्रेजी में लेखन करने वाली कविपत्रकार।कई पुस्तकें प्रकाशित।

अंग्रेजी से अनुवाद :मधु सिंह

युवा कवयित्री।पीएच.डी. की शोध छात्रा।खुदीराम बोस कॉलेज में शिक्षण।

कोई सपना शेष नहीं

दिन कुछ भी नहीं
रात में भी पौधे और पत्तियां
धीरे-धीरे बढ़ ही जाती हैं
तारे के गिरने पर
एक तेंदुआ छोड़ जाता है
अपने पैरों के निशान
हवाएं मेरी आंखों से होकर गुजरती हैं
दरअसल खूबसूरत मैदान और जमीन देखना
अक्सर दिल में हलचल पैदा कर दता है
जब मैं निस्तब्ध बैठती हूँ
ऐसा लगता है
कि मैं विशाल पर्वतों की
अनकही सरगर्मियों से जुड़ती जा रही हूँ
जब कोई सूरज तुम्हें दिखाई न दे
और उसकी रोशनी में
पहाड़ धुलने लगे
और नदी गाने लगे
तब प्रेम तैरता है
जब प्रेम तैरता है
कोई सपना नहीं रह जाता शेष।