थांगजाम इबोपिशक सिंह प्रसिद्ध मणिपुरी कवि।कई पुरस्कारों से सम्मानित। |
अनुवाद :सूर्यदेव राय युवा कवि। |
डाली, हुसैन या स्वप्न की सुगंध : हवाओं के रंग
1
वांगु में रहने वाले चाचा ने मुझसे पूछा-
इस वर्ष कितने पसेरी धान इकट्ठा किया है?
फिर मैंने अपने दोस्त केशो से पूछा
इस महीने के लिए कितने किलो कविताएं लिखी हैं?
लिखो और फाड़ डालो
लिखो और फिर फाड़ डालो
एक रोकड़िया एक रुपए के
पुराने, सड़े-गले, गंदे नोटों की गड्डी को
एक घंटे दो मिनट और पंद्रह सेकेंड में गिनता है
एक हजार… सात सौ… ग्यारह…
फिर अंतिम गणना के बाद
डेटॉल से अपने हाथों को साफ कर
एक के बाद एक सारे नोटों को हजम कर जाता है।
2
कवि जो सत्य कहता है
क्षणभंगुर हवा के अभाव में
पत्तियां तक हिलती नहीं
मैं जो सत्य कहता हूँ
हवाएं बहें या न बहें, बारिश हो या न हो
पत्तियां कभी नहीं हिलेंगी
अगर वृक्ष में पत्तियां न हों।
3
किसी की बातों से उसके विचार जाने जा सकते हैं
आंखों से पढ़ी जा सकती है
चुप्पिसाधों के मन की बात
तभी मैं पहनता हूँ काला चश्मा
ताकि छुपा सकूं अपनी भावनाओं को
ताकि न पढ़ी जा सकें वे चश्मों से
मैं अपनी आंखें बंद रखता हूँ
(वो आदमी जो अपनी आंखें बंद रखता है,
वह या तो कारागार में होता है या किसी पवित्र मंदिर में)
मैंने कभी मछलियों को हवा में उड़ते नहीं देखा
लेकिन अक्सर मैंने बत्तखों को पानी में तैरते देखा है
तुम कहते हो- तुम गलत हो
मैं कहता हूँ- मैं गलत हूँ
वेद कहते हैं- ब्रह्म शून्य है
तुम भी कहते हो और मैं भी मानता हूँ-
वे लोग ‘तुम्हें’ जिस तरह पुकारते हैं
वह मैं कभी नहीं हूँ।
4
बंदूकों की धमक या फूलों की महक
इन दोनों में अधिक प्रभावी क्या है?
बंदूक की आवाज नोक पर होती है
फूलों की महक उसकी पंखुड़ी पर
अंधा व्यक्ति आवाज में रंग देखता है
महिला के बालों में गूंथा है एक प्रेम पत्र
मेरे दादाजी की है एक जन्मकुंडली
एक रेडियो जो हमारी मां की है
चिमटियों का एक जोड़ा जो मेरे बेटे का है
हवा में उड़ती हैं यही कोई दस रम की बोतलें
एक चोली जो मेरी दादी की है
एक जोड़ा शिवलिंग भी
चोंच में चाभियों का गुच्छा दबाए हुए एक पक्षी
दो तितलियां
एक टिकिया साबुन की
एक गीत शेक्सपियर का
एक जोड़ी मोज़री
(कुछ छूट गया? आप अपनी पसंद से जोड़ लें)
एक अंडा
धीरे धीरे
बहुत धीरे
मेरी किशोरी बिटिया के
गंजे सर को छेदता हुआ
घुस जाता है कुछ
फिर उसके दोनों कान तनिक हिल जाते हैं।
5
एक दिन, पीपल का पेड़ पाने की चाह में
मैं एक अमीर आदमी की ऊंची इमारत पर चढ़ गया
और तलाश करते हुए उसके स्नानघर में घुस गया
(मैं पीपल का पेड़ बहुत पसंद करता हूँ।मैं इम्फाल के हर व्यक्ति को सिर पर छोटा पीपल का पेड़ उगाकर चलते हुए देखना चाहता हूँ)
फिर स्नानघर में
मैंने अपनी पत्नी को झुका हुआ पाया
कमर का ऊपरी हिस्सा पीपल में बदल रहा था
कमर का निचला हिस्सा बिना कपड़ों के था
मैं आश्चर्यचकित नहीं था
मैं घबराया भी नहीं था
मैं रोया नहीं
गिरीश कर्नाड,
मेरी पत्नी तुम्हारे चेल्लुवी में बदल रही है!
अब मैं यह कैसे दावा करूं
कि मैं पीपल का पेड़ पसंद करता हूँ?
सूर्य देव रॉय:05, गली नंबर 12, कांकिनारा, उत्तर 24 परगना–743126 (प.बं.) मो.9007428337