युवा कवि। नया संग्रह ‘मौन भी अपराध है’ (नवगीत संग्रह)। संप्रति : उपनिदेशक कविता कोश।
गजल
सूरज के पांवों में मुझे छाला नहीं मिला
जुगनू से आसमां को उजाला नहीं मिला
पत्थर में शिव की प्राप्ति उन्हें हो नहीं सकी
जिनको कि आदमी में शिवाला नहीं मिला
अब शक भरी निगाहों से उसको न देखिए
उसकी तो दाल में कहीं काला नहीं मिला
जख्मों को देख सिर्फ नमक बांटते हैं लोग
कोई भी दर्द बांटने वाला नहीं मिला
जो सच था उसको लोगों ने अफवाह कह दिया
सच्ची खबर में उनको मसाला नहीं मिला
इफ़तारी जम के राजभवन में थी चल रही
भूखों को रास्ते पे निवाला नहीं मिला
धरती से जो लिया उसे धरती को दे दिया
किरणों के पास चाबी या ताला नहीं मिला।
संपर्क :सरस्वती निवास, चट्टी रोड, रतनपुर, बेगूसराय, बिहार-851101मो. 8240297052
हिंदी की ग़ज़ल हिंदी कविता परंपरा को किस तरह अपने भीतर समाहित करती है, इसका उदाहरण है राहुल भाई की यह ग़ज़ल। राहुल एक सम्भावनाशील युवा ग़ज़लकार हैं। उन्हें बधाई।
उम्दा!