रेलवे में कार्यरत।प्रकाशित पुस्तक  आधी रात की बारिश में जंगल

बचा रहे

जो है बस उतना भी बचा रहे
पांव के नीचे की मिट्टी
सर पर खुला आकाश
सीने में कसने भर खुली हवा

आपसी संबंधों में
बनी रहे उष्मा इतनी कि
बची रहे दिलचस्पी
जीवन में संसार में

स्त्री में एक मां बची रहे
बचा रहे पुरुष में एक पिता
बचपन बचा रहे एक बच्चे में
दोस्ती बची रहे
प्रेम बचा रहे

आंखों में पानी बचा रहे
चेहरे में नमक
लहू में लोहा बचा रहे

उमंग आशा स्वप्न
का अर्थ और प्रयोजन बचा रहे

साथ न भी रहे
स्मृति में बचा रहे
नदी पहाड़ फूल पखेरु
जंगल झरना गीत संगीत
गिरना उठना
बिगड़ना बनना
रुक कर चलना
बचा रहे यह क्रम।

संपर्क : प्रो़फेसर कॉलोनी, विलासी टाउन, देवघर, झारखंड-८१४११२ मो. ९३०४२३१५०९