वरिष्ठ गीतकार और लेखक। विभिन्न विधाओं की तीन दर्जन पुस्तकें प्रकाशित।

अपना काम किए

हम तो रहे हाशिए पर लेकिन
अपना काम किए

मुखपृष्ठों पर वही रहे
जो श्रेष्ठ प्रमाणित थे
बांचा गया उन्हीं का लेखा
जो संरक्षित थे

हम तो रहे घूर पर लेकिन
जलते हुए दिये

वे तो जीते रहे हमेशा
अपनी ही खातिर
बाहर-बाहर भले बने
भीतर-भीतर शातिर

कहने को सबके हैं लेकिन
हैं अपने पहिए

आग बरसने वाले दिन
जैसे-तैसे गुजरे

आया तो आषाढ़ मगर
मेघों से अम्ल झरे

मरना तय था, हम लेकिन
जीवन भरपूर जिए।