सुपरिचित कवि। अनुवाद, लेखन तथा संपादन का लंबा अनुभव। करीब एक दर्जन पुस्तकों का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद।
नया-पुराना
किराए के घर हमेशा नए रहते हैं
अपने घर देखते देखते पुराने हो जाते हैं
फिर भी।
मुलाकात
पुराने दोस्त मिले
दिखी झुर्रियों की दस्तक, मोटापे की धमक
गर्मजोशी की कोशिश वही
मगर थोड़ी थकी, थोड़ी सहमी
वक्त की दस्तक तेज हो रही है।
चिड़िया के पंख
सदियों पुरानी बारिश की बूंद
आसमान से गिरी तपतपाती धरती पर छन्न से
भाप बनकर चिड़िया के पंखों को सहलाती
लौट गई वापस आसमान में
चक्र अनंत, लेकिन सत्य- चिड़िया के पंख।
स्मृतियां
रेत पर बनी रेखा
या पत्थर की लकीर
लोहार की धौंकनी में दहकता अंगारा
या धूल का बवंडर
जमीन पर गिरे सफेद-नारंगी हरसिंगार के फूल
आज में कल, कल में आज
कभी पास, कभी दूर।
सबूत
आंखें मूंदने के लिए नहीं
अंगारे बरसाने के लिए होती हैं
जीभ चाटने के लिए नहीं
चीखने के लिए होती है
पांव भागने के लिए नहीं
अंगारों पर चलने के लिए होते हैं
सीना दर्द सहने के लिए नहीं
किसी के लिए धड़क कर
जिंदा होने का सबूत देने के लिए होता है।
तितलियां
तितलियों को छूने से
उंगलियों पर लगे रंग
किसी ने काल की पेशानी पर
जैसे कर दिए हों हस्ताक्षर।
सुलतानगंज की गंगा
मृत्यु के बाद मेरी राख
मत फेंकना धर्म के उस तालाब में जिसमें
बजबजाती हो सदियों की काइयां
भभक रहा है जो मरी मछलियों के सड़ांध से
छितरा देना मेरी राख
कलकल बहती मेरे धर्म की उस नदी में
जिसमें जीवन पाती हैं
छोटी बड़ी मछलियां, विषहीन सांप, गोय, कछुए
किनारे पर बिल बनाकर रहते हैं
गीदड़, कुत्ते, बिल्ली, कीड़े-मकोड़े
स्वागत करती है जो
छोटी डेंगियों और बड़े जहाजों का
जिसे देख कर खिलखिला देता है बच्चा
जिसमें समा कर
समुद्र की महायात्रा में
चल पड़ते हैं छोटे मोटे नदी नाले
जिसके जल में थिरकता है एक सा प्रतिबिंब
किसी मंदिर का, किसी मस्जिद का।
राजेश कुमार झा २/१७४, अयानगर, फेज–५, नई दिल्ली–११००४७ मो.०९८१०२१६९४३/ ईमेल- kjrajesh@gmail.com