ॠतेश पूजा की छुट्टी में घर जाने के लिए गिरिडीह स्टेशन पर एक लोकल ट्रेन में सवार हुआ। ट्रेन में काफी भीड़ थी। पैर रखने की जगह मुश्किल से मिल पा रही थी। थोड़ी देर बाद अगला स्टेशन आने वाला था। ट्रेन की गति धीमी हो गई। उतरने वाले गेट पर एक लंबा कद वाला व्यक्ति ॠतेश से, नीले बैग की ओर इशारा करते हुए, लगातार कहे जा रहा था- भाई जी! आपके बगल में ऊपर बर्थ पर नीला बैग रखा है, उसे मेरी ओर बढ़ा दीजिए। मुझे उतरना है। भीड़ के चलते मैं स्वयं उस सामान तक नहीं पहुंच पा रहा हूँ।

ॠतेश, बहुत कुछ सोच, उसकी बात अनसुनी कर रहा था। तभी उसके बगल में खड़े एक अन्य यात्री ने गेट पर खड़े उस लंबे कद वाले व्यक्ति की बेचैनी को देखते हुए ॠतेश से कहा- अरे भाई! वह सही में परेशान लग रहा है। बैग को थोड़ा उसकी ओर बढ़ा ही दीजिएगा तो इसमें क्या बन-बिगड़ जाएगा?

इतनी बातें हो ही रही थीं, तब तक एक अन्य व्यक्ति शौचालय की तरफ से आया और उस नीले बैग से तौलिया निकाल अपना मुंह पोंछने लगा!

सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी, जिला सांख्यिकी कार्यालय, गिरिडीह, झारखंड -815301 मो.9113150917