वरिष्ठ ग़ज़लकार। ग़ज़ल समेत विभिन्न विधाओं की 12 पुस्तकें प्रकाशित।
गजल
एक
पूछते हो तुम हमारा हाल क्या
बेबसी की खींचते हो खाल क्या
पूछता अब प्रश्न कोई क्यों नहीं
मर गया है वक्त का बेताल क्या
जिंदगी होने लगी जो बेसुरी
चाहिए उसको नहीं सुर ताल क्या
इस तरह हम हैं अगर बेहाल तो
उस तरफ तुम भी कहो खुशहाल क्या
देखकर जलने लगा सारा जहां
सोहिनी को मिल गया महिवाल क्या
आसमां में क्यों मची है खलबली
आ रहा है फिर कोई भूचाल क्या?
आदमी सहमा हुआ है देखकर
फांसने को बुन रहा वो जाल क्या?
हौसले से भर गई जो जिंदगी
टिक सकेगा सामने जंजाल क्या?
हौसला लेकर चला जो कारवां
रोक पाया राह कोई काल क्या?
दो
समय का खामियाजा बोलता है
हमारा जख्म ताजा बोलता है
हमारी धमनियों में जो बसे हैं
विरासत का तकाजा बोलता है
अमन का गीत गाना फिर कभी तुम
मुहब्बत का जनाजा बोलता है
भरोसा बन गया है जो तमाशा
उसी का ढोल-बाजा बोलता है
ज़हर घोलो हवा में मौत बांटो
कहां कोई भी ख्वाज़ा बोलता है।
संपर्क : फुलकिया, बरियारपुर, मुंगेर–811211 (बिहार) मो. 9204636510
राम बहादुर चौधरी चंदन जी की दोनों गजलें पड़ी दोनों ही गजलें बहुत ही लाजवाब और उम्दा प्रकार की है आज के परिदृश्य में आम लोगों की भावनाओं के साथ सटीक बैठती है ऐसी गजल लेखन के लिए उन्हें बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद
Meaningful,,, that’s why people believe in Education is power ,,,,,,,I will pray to god U will continue the same ,,,,Jai Hind Babu ji 🙏🙏
काफ़ी उमदाह एवं मनोहर ग़ज़ल हैं |
अत्यंत मन मोहक
ऐसे ही लिखते रहिए sir 🙏🙏🙏
Outstanding
अति सुन्दर
अतिसुन्दर कविता
इस तरह हम हैं अगर बेहाल तो
उस तरफ तुम भी कहो खुशहाल क्या
वाह, सुबहानल्लाह क्या ख़ूब लिखा है आपने
Old is gold 🥇
उम्दा ग़ज़लें, बधाई