वरिष्ठ लेखिका। गीत, नाटक और कहानी की कुल 6 पुस्तकें प्रकाशित। लोकगीत पर शोध।

घर टूटने की व्यथा

तिनका-तिनका जोड़कर
बनाए घोंसले के
तिनके-तिनके में बसे थे
भविष्य के सुनहरे सपने
और जीवन का
हँसता हुआ बसंत
जो एक झटके के साथ बदल गया
वीरानी में
सूनी उदास आंखें देख रही हैं
उजड़े हुए बसेरे को
कंकाल पेड़ पर बैठी चिड़िया
सोचती है
भविष्य में आने वाले खतरों के बारे में
घर ढहाने से पहले
घर बनाने वाले के दिल से पूछो
कितना-कितना पसीना बहा होगा
कितने दिन बीते होंगे
घर देखने की लालसा में
कितनी रातों ने देखा होगा
बने हुए घर का सुंदर सपना

घरों को ध्वस्त करते हुए
तुम्हें बिलकुल पीड़ा नहीं होती
क्योंकि इस वक्त तुम
अहंकार के घोड़े पर सवार हो
तुम्हारी फितरत में प्रतिशोध है
महल वालो!
तुम कभी नहीं जान सकते
केसी होती है
घर टूटने की व्यथा।

घर

घर ने स्वप्न में भी नहीं सोचा था
कि बिक जाऊंगा इस तरह
एक मूक पशु की भांति
सौंप दिया जाएगा मुझे
अनजान हाथों में

एक हूक-सी उठेगी घर के भीतर
जब थरथराती दीवारों में
गूंजेंगे हारमोनियम के स्वरों के साथ
पिता के गीत के स्वर
‘पिंजरे के पंछी रे, तेरा दरद न जाने कोय’

इस घर में
जब-जब लौटेंगी चहचहाती हुई चिड़ियां
पराया घर देखकर
उड़ जाएंगी घर से बहुत दूर
अपनी नम आंखें लिए
घर की बेटियों की तरह

बड़े जतन से संवारे थे भाई ने
चिड़ियों के घोंसले और
क्यारियों में खिल रहे फूलों को
फूलों के बीज को
रखा जाता था हर साल संभाल कर
यदि अब तक बचा होगा बीज
तो इस मौसम में खिल रहे होंगे
गेंदा के फूल
शरद ऋतु की चांदनी रात में
महक रहा होगा आंगन
चमेली मोगरा और
रातरानी के फूलों की खुशबू से।

गिराओ

वे नहीं चाहते
किसी का कद बढ़े उनके कद से ऊपर
वे डरते हैं
बढ़ते हुए कदों से
क्योंकि यह कद
भविष्य में उनके लिए
बन सकते हैं
बहुत बड़ी चुनौती

वे रचते हैं षड्यंत्र के जाल
बढ़ते हुए कदों को धराशायी करने के लिए
और सोचते हैं कि
यदि जड़ से मिटाना है किसी के अस्तित्व को
तो उसे नीचे गिराओ

वह उठने की कोशिश करे
उससे पहले ही
रचो कोई साजिश
और बार-बार गिराओ
उठते-बैठते, जागते-सोते
खोजो गिराने के नए तरीके
नई-नई चालों में फंसाकर गिराओ
पूरे दमखम से गिराओ
बार-बार गिराओ
हर स्तर पर गिराओ
इतना गिराओ
कि गिरना ही उसकी नियति बन जाए

लेकिन याद रखना
वह जितनी बार गिरकर उठेगा
जीवन के सच्चे अनुभव और
नई ताकत के साथ उठेगा
तुम्हारी बर्बरता की ढाल को
सचाई की धार से काटते हुए उठेगा
लेकिन
तुम किसी को गिराने में
कहीं इतने नीचे मत गिर जाना
फिर कभी उठने का अवसर न मिले।

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