युवा कवि।दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्ययन।

धरती के लिए

मेरे पास एक दृष्टि थी
जो संसार में सबसे अकेली थी
एक चेतना थी
जिसने मुझे पागल बना दिया था

कुछ शब्द थे
जो अक्सर मौन रहते थे
फिर एक भाषा मिली
जो उस मौन को समझने लगी

और क्या था मेरे पास?
छोटी-छोटी किस्मत की लकीरों वाला
एक बड़ा सा माथा था
जिसे कोई चूमने वाला नहीं था

एक छोटे से दिल की
बहुत बड़ी सी किताब थी
जिसके पन्ने उसकी लिखाई से भरे पड़े थे

प्रेम के अकाल में आलिंगन की प्रौढ़ता थी
उम्मीद की उमस थी, व्यथा की बारिश थी

जीवन की कालकोठरी में
अर्थों के दीये थे
जो मेरे शब्दों से जलते थे

फिर किस बात का गम था मुझे?
मेरे पास लिखने को एक समूचा आकाश था
लेकिन मेरा मन
जीवन भर
धरती के लिए लिखता रहा।

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