कवयित्री और देहरादून में सहायक प्राध्यापिका। दो कविता संग्रह ‘पेड़ बनी स्त्री’ और ‘उसकी आवाज एक उत्सव है’।
ख्वाहिश
कितनी छोटी सी ख्वाहिश
शाम हो
तुम्हारा साथ हो
शहर के कोलाहल से दूर कहीं
पिघलते सूरज को
पेड़ों से विदा लेते देखें हम
जब नदी सोने की तैयारी में हो
लौट आएं अपने-अपने घरौंदों में
ख्वाहिश छोटी सी
पर कितनी ताकतवर
ख्वाहिश होने भर से हिल जाए
दुनिया की सारी दुनियादारी।
संपर्क :चमोली निवास, १/७ माता मंदिर चौक, अजबपुर कलां, देहरादून–२४८००१