युवा कवि।दिल्ली विश्वविद्यालय में सीनियर रिसर्च फेलो।

स्त्री

गौर से देखो तो दिख जाएगी
हर औरत की पीठ पर लदी
एक गठरी
गठरी जिसमें नहीं होगी धन-संपदा
नहीं होगी विरासत के नाम पर
जमा की गई कोई शेष पूंजी
नहीं होगा स्त्री के नाम का
कोई स्त्री-धन
होंगी पुरखों की तमाम-तमाम
नसीहतें, निषेधाज्ञाएं
होंगे प्रत्युत्तर के लिए कई कई सवाल!

पति-पत्नी

कई दिनों की चुप्पी ने
विस्फोट का रूप धारण किया
पति
मार-पीट, गाली-गलौज, ताने-तरानों के बाद
शयनकक्ष में खर्राटा लेता सो गया!
फर्श पर निढाल पत्नी ने इसी सोच में
रोते-सिसकते बिता दी सारी रात
आखिर सुबह की शुरुआत हो कैसे?

संपर्क : डी११५/द्वितीय तल,   मंदिर मार्ग, साकेत, नई दिल्ली११००१७मो.९९५८६४१४६१