दलित मराठी कवि।अंग्रेजी में अनूदित कविता संग्रह ‘प्वायजंड ब्रेड’।
पैदा होऊं या नहीं
मां, तुम मुझे कहा करती थी
जब मैं पैदा हुआ था
तुम्हें असह्य प्रसव पीड़ा हुई थी
कारण क्या था मां?
इतनी लंबी प्रसव पीड़ा की वजह क्या थी?
क्या मैं निकलना नहीं चाहता था तुम्हारे पेट से
और मुझे बड़ी दुविधा थी
निकलूं या नहीं
क्या मुझे पैदा होना चाहिए था
क्या सचमुच पैदा होना चाहिए था इस धरती पर
जहां सभी रास्ते क्षितिज की ओर भाग रहे थे
पर मेरे लिए प्रतिबंधित थे
तुम सभी जमीन पर लेटे हुए थे
आसमान पर आंखें टिकाए
फिर बंद कर ली थीं आंखें
धीरे से बुदबुदाई थी
हां, आकाश ही एकमात्र सहारा है
तुम्हारा शरीर ढका हुआ था
पीढ़ी-दर-पीढ़ी घोर गरीबी के जर्जर आवरण से
तुम्हारे सर के नीचे
बेहाल करती जरूरतों का तकिया था
तुम रात में सोई थी
और सुबह उठी थी कराहती हुई
अपनी खाली मुट्ठियों से
अपनी छाती को मसलती हुई
तुम्हें यह कहने की जरूरत नहीं कि
हर आदमी पैदा होता है
स्त्री और पुरुष के मिलन से
पर किसी की क्षमता नहीं कर ले
निकलने के रास्ते को चौड़ा
तुम भागती रही इधर से उधर
चिल्लाती छटपटाती हुई
हां, यह धरती गोल है
पूरी तरह गोल
मां, यह तुम्हारी धरती है
पानी के कलकल प्रवाह से भरी हुई
जहां नदियां तोड़ रही हैं अपने तट
लबालब भरी हुई हैं झीलें
और तुम!
मानव जाति का एक हिस्सा
तुम्हें एक चुल्लू पानी के लिए
करना होता है संघर्ष
छाती पर गुदा है हड़तालों का किस्सा
मैं थूकता हूँ ऐसी सभ्यता पर
क्या यह तुम्हारी धरती है मां
सिर्फ इसलिए कि तुम यहां पैदा हुई थी
क्या यह मेरी धरती है?
क्योंकि मैं तुम्हारी कोख से पैदा हुआ हूँ
क्या इसीलिए मुझे इस महान धरती को
अपना कहना पड़ेगा
इसे प्यार करना पड़ेगा
इसकी गौरवगाथा गानी होगी
माफ करो मां
मुझे सच कहना पड़ेगा
मैं सचमुच दुविधा में था
क्या मुझे पैदा होना चाहिए था
जन्म लेना चाहिए था इस धरती पर?
अनुवाद :अवधेश प्रसाद सिंह
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