सिफ दौलत के लिए नहीं खुशी के लिए लड़ें
‘एक दशक पहले, दुनिया में जोस मुजिका को लेकर आकर्षण बढ़ गया था। जब वह उरुग्वे के राष्ट्रपति थे, वे राष्ट्रपति भवन को छोड़कर अपनी पत्नी और तीन पैरों वाले कुत्ते के साथ एक छोटे से टिन की छत वाले घर में रहते थे। वे अब एक असाध्य बीमारी से गुजर रहे हैं। उनसे जैक निकास द्वारा साक्षात्कार का संपादित अंश।
जैक निकास: आपका स्वास्थ्य अब कैसा है?
जोस मुजिका: डाक्टरों ने रेडिएशन उपचार किया है। उन्होंने कहा है कि सब ठीक हो गया, लेकिन मैं टूट गया हूँ। मुझे लगता है कि मानवता, जैसा समय चल रहा है, नष्ट हो गई है।
प्रश्न: आप ऐसा क्यों कहते हैं?
जोस मुजिका: हम व्यर्थ में बहुत सारा समय बर्बाद करते हैं। हम अधिक शांति से रह सकते हैं। उरुग्वे को लीजिए, उरुग्वे में 35 लाख लोग रहते हैं, पर यह देश 2 करोड़ 70 लाख जोड़ी जूतों का आयात करता है। हम कचरा बढ़ाते जा रहे हैं, किसलिए?
जब आप जरूरत के अनुसार वस्तुओं से अधिक की आकांक्षा करते हैं और आपकी ज़रूरतें बढ़ जाती हैं, तो आप अपना जीवन उन जरूरतों को पूरा करने में बिता देते हैं। बाजार हमपर हावी हो जाता है और वह हमसे हमारा जीवन छीन लेता है। मानवता का अधिक काम करने, अपने पास अवकाश का अधिक समय रखने और जमीन से अधिक जुड़े रहने की जरूरत है। इतना कूड़ा क्यों? आपको अपनी कार क्यों बदलनी है? रेफ्रिजरेटर क्यों बदलें?
एक ही जीवन है और उसका अंत हो जाता है। आपको इसे अर्थ देना होगा। सिर्फ दौलत के लिए नहीं, खुशी के लिए लड़ें।
प्रश्न: क्या आप मानते हैं कि मानवता का नया रूप आ सकता है?
जोस मुजिका: आ सकता है। लेकिन बाजार बहुत मजबूत है। इसने अचेतन रूप से ऐसी संस्कृति उत्पन्न की है जो हमारी प्रवृत्तियों पर हावी है। यह आत्मपरक है। इसने हमें लालची खरीदार बना दिया है। हम खरीदने के लिए जीते हैं, और भुगतान करने के लिए जीते हैं। क्रेडिट पर चीजें खरीदना अब एक धर्म है, तो हम एक तरह से परेशान हो गए हैं!…
प्रश्न : फिर भी आपके भाषणों में अकसर सकारात्मक संदेश होता है।
जोस मुजिका: क्योंकि जिंदगी खूबसूरत है। तमाम उतार-चढ़ावों के बावजूद मुझे जीवन से प्यार है। और मैं इसे खो रहा हूँ, क्योंकि अब मेरे जाने का समय हो गया है। हम जीवन को क्या अर्थ दे सकते हैं? निश्चय ही जानवरों की तुलना में मनुष्य में उद्देश्य खोजने की क्षमता अधिक होती है।…
प्रश्न: राष्ट्रपति के रूप में आपने अपने ही घर में रहना क्यों चुना?
जोस मुजिका: सामंतवाद के सांस्कृतिक अवशेष अभी भी काफी बचे हुए हैं। लाल कालीन, बिगुल! राष्ट्रपतियों को प्रशंसा पसंद है।
मैं एक बार जर्मनी गया और उन्होंने मुझे मर्सिडीज-बेंज में बिठाया। दरवाजे का वजन कई सौ किलो था। उन्होंने 40 मोटरसाइकिलें आगे और 40 अन्य पीछे लगा दीं। मुझे शर्म आ रही थी।
यहां राष्ट्रपति के लिए एक घर है। यह चार मंजिला है। चाय पीने के लिए आपको तीन ब्लॉक पैदल चलना होगा। बेकार! उन्हें इसे हाई स्कूल बनाना चाहिए।
प्रश्न: आप किस तरह याद किया जाना पसंद करेंगे?
जोस मुजिका: आह, जैसा मैं हूँ: एक पागल बूढ़ा आदमी!
प्रश्न: बस इतना ही?
जोस मुजिका: किताब मनुष्य का सबसे बड़ा आविष्कार है। यह शर्म की बात है कि लोग इतना कम पढ़ते हैं। उनके पास समय नहीं है। आजकल लोग अपना ज्यादातर काम फोन पर करते हैं।
हमें अपने अंदर के व्यक्ति से बात करना सीखना चाहिए। इसने ही मेरी जान बचाई। मैं कई वर्षों तक अकेला था, मेरे अंदर का व्यक्ति मेरे साथ रहा।
जब मैं खेत में ट्रैक्टर पर काम कर रहा होता हूँ, तो कभी-कभी यह देखने के लिए रुक जाता हूँ कि एक छोटी चिड़िया अपना घोंसला कैसे बनाती है। उसका जन्म इस लक्ष्य के साथ होता है। वह पहले से एक वास्तुकार है। किसी ने उसे सिखाया नहीं। क्या आप हॉर्नेरो पक्षी को जानते हैं? वे उत्तम राजमिस्त्री हैं।
मैं प्रकृति की प्रशंसा करता हूँ। मुझमें लगभग एक प्रकार का सर्वेश्वरवाद है। सबमें ईश्वर देखने के लिए आपके पास आंखें होनी चाहिए। चींटियां सच्चे कम्युनिस्टों में से एक हैं। वे मनुष्यों से भी प्राचीन हैं और वे हमसे अधिक जीवित रहेंगी।
प्रश्न: आज सभी मोबाइल फोन पर ज्यादा होते हैं…?
जोस मुजिका: यह फ़ोन की गलती नहीं है। हम इसका विनाशकारी उपयोग करते हैं। बच्चे अपनी जेब में विश्वविद्यालय लेकर घूमते हैं, यह बहुत ही अच्छी बात है। हालांकि, हम मूल्यों की तुलना में प्रौद्योगिकी में अधिक आगे बढ़ गए हैं।
प्रश्न : फिर भी डिजिटल दुनिया वह जगह है, जहां अब बहुत सारा जीवन जिया जाता है।
जोस मुजिका: हम केवल शब्दों के माध्यम से बात नहीं करते हैं। हम इशारों से, अपनी देह से भी संवाद करते हैं। इसकी जगह कोई नहीं ले सकता।
हम इतने रोबोटिक नहीं हैं। हमने सोचना सीखा है, लेकिन सबसे पहले हम भावनात्मक प्राणी हैं। हमारा मानना है कि हम अपने दिमाग से निर्णय लेते हैं। कई बार हमारा मस्तिष्क अपने पेट द्वारा लिए गए निर्णयों को सही ठहराने के लिए तर्क ढूंढ़ लेता है। हम उतने जागरूक नहीं हैं, जितना हम दिखते हैं।
ठीक है कि तंत्र ही हमें जीवित रखता है। यह उस गाय की तरह है जो हरे रंग का अनुसरण करती है। हरियाली उसका भोजन है।
प्रश्न: क्या इसका अर्थ यह है कि जीव विज्ञान आपकी जीवन दृष्टि का एक प्रमुख तत्व है?
जोस मुजिका: जीवन एक लंबी शृंखला है और यह आज भी रहस्यों से भरा है। मुझे आशा है कि मानव जीवन का इतिहास लंबा होगा, लेकिन मैं चिंतित हूँ। परमाणु हथियार रखने वाले दीवाने देश कई हैं। इस समय कट्टरता भी बहुत अधिक है। हमें पवन चक्कियां बनानी चाहिए, जबकि हम हथियारों पर खर्च करते हैं। मनुष्य कितना जटिल पशु है, वह चतुर और मूर्ख दोनों है!
(साभार : न्यू यार्क टाइम्स न्यूज सर्विस)