विभिन्न पत्र–पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। संप्रतिः पूर्णियां महिला कॉलेज में प्रिंसिपल।
गजल
काटें कभी न पेड़ को, तोड़ें नहीं पहाड़
कुदरत की ताकत बड़ी, करिए नहीं बिगाड़
पीपल बोला नीम से, कैसा है यह दौर
अपना बगिया बेच के, चिड़िया खोजे ठौर
बिकता है बाजार में, पानी भी जब मोल
हवा कहे जब धूप से, अपनी कीमत बोल
गंगा अब उन्मुख नहीं, यमुना भी है पस्त
इन नदियों की मौत से, सब कुछ होगा अस्त
पानी संचय कीजिए, पानी है अजनास
पानी की ही लूट में, होगा महा विनाश
मेरी चाहत से खिले, ऐसा कहीं न पेड़
देखें तो सोचें अभी, हो न जाए देर
आओ मेरे गांव में, तितली बादल मोर
ऐसे दुनिया न चले, कहां गए सब छोड़।
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