युवा गजलकार. रचनाएं पत्र–पत्रिकाओं में प्रकाशित. भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत
ग़ज़ल
बिला वजह के वजह बताकर उथल-पुथल जो मचा रहे हैं
नहीं किसी की उन्हें है परवाह जो खाया उसको पचा रहे हैं
सभी हैं नंगे हमाम में तो किसे गलत या सही कहेंगे
न राज़ अपना खुले ये डर है, इसीलिए तो बचा रहे हैं
कोई है दीदी कोई है अम्मा कोई है भाई कोई भतीजा
लगाएं कैसे सगे पे तोहमत कभी तो हम भी चचा रहे हैं
जिन्हें भरोसा रहा न खुद पे वो क्या भरोसा दिला सकेंगे,
कहीं पे धरना कहीं प्रदर्शन सियासी नाटक रचा रहे हैं
नज़र कहीं है कहीं निशाना नया विधेयक बना बहाना
किसी की बनरी किसी के हाथों किसी जगह पे नचा रहे हैं.
संपर्क : एस ४, सुरभि, सेक्टर–२९, गांधीनगर–३८२०३० (गुजरात) मो.९०८२१३६८८९