वरिष्ठ कवि। रचनाएं कई पत्र–पत्रिकाओं में प्रकाशित। संप्रति भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत।
गज़ल
यहां वहां से लिए या किसी खजाने से
कहां से लाए वो दौलत, रहे बताने से
कहां तो लोग गुजारा भी कर नहीं पाते
कहाँ तो गड्डियाँ मिलती हैं पायखाने से
पता नहीं कि वो लेकर कहां से पेट आए
ये नाम लेता न भरने को हाय! खाने से
अभी अभी तो उन्हें ले के बस गई थी पुलिस
अभी अभी हैं जमानत पे आए थाने से
निगल गए जो गरीबों के हक वो आंकेंगे
छुपा है पाप कहां आजतक छुपाने से।
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