भारतीय भाषा परिषद के सभागार में संस्थापक दिवस के अवसर पर कोलकाता की विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रसिद्ध कथाकार और भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्ष डॉ. कुसुम खेमानी का उनकी दीर्घ सेवाओं और अवदान के लिए सम्मान किया गया।उन्हें शाल और मानपत्र के अलावा नटराज की एक विशेष कलात्मक मूर्ति भेंट की गई।इस अवसर पर ईश्वरी प्रसाद टांटिया ने उनके दीर्घायु होने की कामना करते हुए ट्रस्ट की ओर से उनपर संपूर्ण विश्वास व्यक्त किया।अजमेर से आए शिक्षाविद संदीप अवस्थी ने कहा कि वे परिषद के अपने उल्लेखनीय कामों के अलावा राजस्थानी समाज के उदात्त आदर्शों को स्थापित करती हैं और साधारण वर्ग के स्त्री चरित्रों को वाणी देती हैं।

लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डा. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि डॉ. कुसुम खेमानी ने हिंदी की सेवा के अलावा कला, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।परिषद के निदेशक डा. शंभुनाथ ने कहा कि कुसुम खेमानी जी ने सीताराम सेकसरिया के उच्च राष्ट्रीय आदर्शों और लक्ष्यों के अनुरूप भारतीय भाषा परिषद को विकास के शिखर पर पहुंचाया है।परिषद के उपाध्यक्ष प्रदीप चोपड़ा और बिमला पोद्दार ने अतिथियों का स्वागत किया।बिमला पोद्दार ने संस्थापक दिवस पर प्रकाश डालते हुए परिषद के उल्लेखनीय कार्यों के बारे में बताया।प्रो. राजश्री शुक्ला ने सभा का संचालन और मानपत्र का वाचन करते हुए कहा कि कुसुम जी मानवता और उच्च संस्कृति की प्रतिमूर्ति हैं।

श्री शिक्षायतन, सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन, मारवाड़ी बालिका विद्यालय, श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, भारत विकास परिषद, परिवार मिलन, सिख नारी मंच, संगीत आश्रम, साहित्यिकी, सदीनामा, जैन समाज के अलावा कई संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने डॉ. कुसुम खेमानी को पुष्पगुच्छ और शाल से सम्मानित किया।इस अवसर पर एक पुस्तक ‘कुसुम खेमानी : एक गरिमामय व्यक्तित्व’ का लोकार्पण भी किया गया।परिषद की ओर से अमृता चतुर्वेदी ने कुसुम जी के मानवीय और संवेदनशील पक्षों से श्रोताओं को अवगत कराया।परिषद के इस आयोजन को सफल बनाने में वित्त मंत्री घनश्याम सुगला की सराहनीय भूमिका रही।

सुदूर उज्जैन से अपने ट्रुप के साथ पधारे प्रह्लाद टिपानिया द्वारा कबीर के पदों के लोकधुन पर गायन का दर्शकों ने खूब आनंद लिया।उन्होंने गायन के क्रम में बताया कि कबीर मनुष्य और मनुष्य के बीच भेद नहीं मानते थे।आज तेज गति से दौड़ती दुनिया का हवाला देते हुए उन्होंने गाया – जरा धीरे गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले! सभाकक्ष खचाखच भरा था।दीर्घ समय बाद ऐसे आयोजन से दर्शक काफी खुश दिखे।

प्रस्तुति :सुशील कान्ति