भारतीय भाषा परिषद के पुरस्कार समारोह में विभिन्न भाषाओं के साहित्यकार सम्मानित किए गए
भारतीय भाषा परिषद के राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में मराठी के वरिष्ठ कथाकार भालचंद्र नेमाडे, ओड़िया की प्रमुख साहित्यकार प्रतिभा राय, तेलुगु के शिखर कवि एन.गोपि और हिंदी की प्रख्यात कथाकार मधु कांकरिया को परिषद के प्रतिष्ठित कर्तृत्व समग्र सम्मान से सम्मानित किया गया।युवा पुरस्कार दिया गया ओम नागर (राजस्थानी), शेखर मल्लिक (हिंदी), सुमेश कृष्णन (मलयालम) और वांग्थोई खुमान (मणिपुरी) को।बांग्ला के शीर्षस्थ कथाकार शीर्षेंदु मुखोपाध्याय ने सभी को मानचिह्न देकर सम्मानित किया।
परिषद की अध्यक्ष डॉ.कुसुम खेमानी ने विभिन्न राज्यों से आए गणमान्य साहित्यकारों का स्वागत करते हुए कहा कि आज भारतीय भाषा परिषद लघु भारत का आंगन बना हुआ है।हम इतने सुधी साहित्यकारों को सम्मानित करके गौरवान्वित हैं।परिषद का प्रति वर्ष दिया जाने वाला कृतित्व समग्र सम्मान १ लाख रुपये का और युवा पुरस्कार ४१ हजार रुपये का है।
द्वितीय सत्र में पुरस्कृत रचनाकारों ने अपने वक्तव्य रखे।भालचंद्र नेमाडे ने भारतीय साहित्य और आज की परिस्थितियों में लेखन की चुनौती पर अपनी बात रखते हुए कहा कि भारतीय राष्ट्र में विविधता और बहुस्वरता का सम्मान करना जरूरी है।प्रतिभा राय ने कहा कि साहित्य में कुछ भी वर्जित नहीं है।पापी को भी विषय बनाना पड़ता है कि आखिर उसने पाप क्यों किया।मधु कांकरिया ने औरतों की दुर्दशा पर बात करते हुए कहा कि कोई औरत बुरी नहीं होती, बुरी होती हैं परिस्थितियां।एन गोपी ने अपनी रचनात्मकता के अनुभव पर विचार रखे।
युवा लेखकों में ओम नागर ने वर्तमान समाज की विषम स्थितियों पर बात की।सुमेश कृष्णन ने अपनी रचनात्मकता पर विचार व्यक्त करते हुए अपनी कविता को गायन शैली में व्यक्त किया।बांग्थोई खुमान ने कहा कि कविता समाज की बेहतरी के लिए होती है।शेखर मल्लिक ने कहा कि हम अपनी दृष्टि समाज से लेते हैं और उसका सार पुनः समाज के सामने प्रस्तुत करते हैं।
परिषद के निदेशक शंभुनाथ ने कहा यह पुरस्कार समारोह सामाजिक कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है।यहां उपस्थित साहित्यकार इंद्रधनुष के विविध रंगों की तरह हैं।प्रो.राजश्री शुक्ला ने समारोह का सफलतापूर्वक संचालन किया।समारोह में मानपत्र वाचन किया परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप चोपड़ा, प्रो. राजश्री शुक्ला, श्रीमती बिमला पोद्दार, श्री सुशील कांति, प्रो.संजय जायसवाल और श्री आदित्य गिरि ने।