‘दीदी, आपके घर में कौन आया हुआ है, नीचे बंदूक लिए पुलिस वाले खड़े हैं। मैं तो डर ही गई!’ उसकी कामवाली बाई ने घर के अंदर घुसते ही नीमा से कहा।

‘अरे! मेरे जेठ आए हुए हैं, बड़े नेता हैं। जल्दी से जाकर रात के डिनर की तैयारी कर। डाइनिंग टेबल पर कुछ ड्राई फ्रूट्स रखे हैं। साहब लोग के पास ले जाकर रख दे।’ नीमा मुस्कुराते हुए बोली।

‘दीदी!…दीदी जी!’

‘अब क्या हुआ जो गला फाड़ रही है?’

‘मेरे मरद के पास बस एक छोटी-सी बोतल मिली थी। पुलिस वाले उसे और उसकी दारू की बोतल दोनों को थाने उठाकर ले गए। यहां इतनी बोतलें खुली हैं और नीचे पुलिस भी है। उठाकर ले जाएंगे साहब जी लोग को…। बोलते हैं इस राज में सरकार ने शराब बंद किया हुआ है।’ काम वाली की मुंहफटी सुनकर उसके पति और जेठ ने उसे गुस्से से देखा और अपनी कड़वी घूंट अंदर की।

द्वारा जस्टिस दीपक रौशन, बंगला नंबर-4, न्यू जज कॉलोनी, डोरंडा, रांची-834002