युवा कवि और पत्रकार। काल बैसाखी (कवितासंग्रह) प्रकाशित।

ताकत

सबसे ताकतवर कौन
जब जानने घर से निकला
तो इतना खोजना काफी था
कि किसका कलश सबसे ऊपर है

सबसे ऊंची मीनार किसकी है
पहाड़ पर किसका कब्जा है
कौन कंपनी का मालिक सौवें माले पर है
जो जितना आकाश खाता है
उसका उतना बूता है
सोचता हुआ लौटा घर

घर में सबसे ताकतवर कौन
जानने के लिए इतना काफी था
कि खाना किसकी पसंद का बनता है।

पैर छूना

आज कर लिया फैसला
दूसरों के पैर छूना
अब से बंद

दिक्कत मुझे पैर छूने से नहीं
मैं तो चाहता हूँ सबके आगे झुकना
समस्या उस व्यक्ति विशेष से भी नहीं
जिसके गोड़ पड़ने मुझे कहा जाता है
या ऐसी स्थिति पैदा की जाती है
कि किसी का ठेहुना मुझे पास से देखना पड़े
वो मुझे बीच बस में भी मिल जाता
मैं सरककर बिठाता उसे

मेरी लड़ाई बस उस विचार से है
जिससे मेरे झुकने पर
तनती है उसकी कमर।

अच्छे दिन

सैमुएल बेकेट का नाटक देखा
वेटिंग फॉर गोदो
हम घंटों करते रहे इंतजार
गोदो नहीं आया

बचपन में सतनारायण पाठ होता था
जिसमें पंडिज्जी बतलाते रहते थे
सतनारायण पाठ कराने के फायदे
और सतनारायण पाठ न कराने के नुकसान
बस सतनारायण पर कोई बात नहीं होती थी

चौराहे पर ढोल बजाकर चिल्लाता था मदारी
‘अभी काट डालूंगा जमूरा को दो टुकड़ों में’
और जुटा लेता था बहुत सारी भीड़
घर लौटते हुए सोचते थे हम
अब तक तो कट ही गया होगा साला बंदर।

खुला दरवाजा

जब लंबे सफर के बाद लौटा
तो अपने ही घर का दरवाजा खुला मिला
अंदर गया और चप्पा-चप्पा छाना
हाथ भर की दूरी पर लैपटॉप सामने
सजिल्द किताबें घड़ी
मगर चोरी का कहीं नामोनिशान नहीं

क्या खुद खुला छोड़कर चला गया था दरवाजा
जो हफ्तों हहाता रहा दिन रात गरमी बरसात में
आते जाते लोगों को पुकारता

और घर भी कहीं अंदर नहीं
बिलकुल सड़क के सामने सर झुकाए खड़ा
मगर बाहर से गुजरते रहे लोग
अंदर बैठती रही धूल
कोई नहीं आया पूछने न पड़ोसी न चोर
कि मैं जिंदा हूँ या मर गया

कुछ लोग इसी को रामराज्य कहेंगे।

बाजी के बकरे

भिड़े हुए थे खिलाड़ी
बॉल के पीछे धचकते
कंधे टकराते जांघ ठोंकते घूरते चिढ़ाते
पुरानी दुश्मनी सुलटाने का यह भी एक ढंग था
कि मैदान में मिल

किनारों पर बैठे थे समर्थक
नहीं बैठे थे तो सिर्फ दो बकरे
अलग अलग छोर पर कान झटकते
जिन्हें टान ले जाएगा विजेता दल
जब पास से गुजरती गेंद
बकरे भी भागते गेंद के पीछे
जैसे रिजर्व खिलाड़ी या कोच हों
अपने-अपने दल के
गले की रस्सी झमककर
खींच लेती उनको वापिस

आज हांडी में घुल जाएंगे दोनों एक साथ
फिर भी वे चाहते थे उनका दल जीते
विजेता बकरा बनकर कटने का मजा और था।

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