भारतीय भाषा परिषद में त्रैमासिक लेखन कार्यशाला का समापन
भारतीय भाषा परिषद द्वारा तीन महीनों से चल रहे ‘युवा लेखन कार्यशाला’ के समापन समारोह के अवसर पर ‘कैसे अच्छा लेखन करें’ पर चर्चा के अलावा स्वरचित काव्यपाठ और संस्कृति नाट्य मंच के नुक्कड़ नाटक ‘आजादी का रंग तिरंगा’ का मंचन हुआ।स्वागत वक्तव्य देते हुए प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि युवा लेखन कार्यशाला से रचनाकारों में सृजन के साथ सामूहिक संवाद और सांस्कृतिक अभिरुचि का विकास होगा।कार्यक्रम की शुरुआत काव्यसंगीत की प्रस्तुति से हुई।सूर्य देव रॉय ने दुष्यंत कुमार की कविता तथा राजेश सिंह ने बांग्ला में रवींद्र संगीत सुनाया।
इस अवसर पर बतौर विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध बांग्ला कथाकार राम कुमार मुखोपाध्याय ने कहा कि हर नवोदित रचनाकार को उसी तरह रोज लिखना और पढ़ना चाहिए, जिस तरह नृत्य, गान और चित्रकला सीखने के लिए नियमित अभ्यास की जरूरत होती है।परिषद के निदेशक डॉ. शंभुनाथ ने नवोदित रचनाकारों को संबोधित करते हुए कहा कि लेखन कार्यशाला एक नई काव्यमय इंसानियत की यात्रा के लिए है।कुछ नया लिख कर हम नया जीवनबोध पाते हैं।परिषद के उपाध्यक्ष एवं फिल्मकार प्रदीप चोपड़ा ने कहा कि अच्छे लेखन में रोजगार की विपुल संभावनाएं हैं।बांग्ला की अच्छी रचनाओं के अनुवाद हों।भाषाविद डॉ. अवधेश प्रसाद सिंह ने कहा कि भाषा के मामले में सतर्कता जरूरी है, भाषा हमारी पहचान है।मृत्युंजय ने कहा कि हमें अपने लिखे को निरंतर मांजना चाहिए ताकि उसकी चमक बढ़े।लेखन एक सशक्त प्रतिरोध है।इस अवसर पर प्रसिद्ध गजलकार विनोद प्रकाश गुप्ता, सुरेश शॉ सहित तमाम युवा लेखक उपस्थित थे।कार्यक्रम का संचालन रेशमी सेन शर्मा और राजेश सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन रंगकर्मी महेश जायसवाल ने दिया।
प्रस्तुति : मधु सिंह
हिंदी कथा साहित्य में जीवन मूल्य
भारतीय भाषा परिषद (कोलकाता), भगवंत विश्वविद्यालय (राजस्थान) और हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन (नीदरलैंड्स) के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।उद्घाटन सत्र में स्वागत वक्तव्य दिया कोलकाता विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्याक्ष तथा भारतीय भाषा परिषद के सचिव राजश्री शुक्ला ने।मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक बीना शर्मा ने अपना वक्तव्य रखा।विषय प्रवर्तन कथाकार-आलोचक संदीप अवस्थी ने किया।इस सत्र की अध्यक्षता की भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्ष डॉ कुसुम खेमानी ने।अंत में आभार प्रकट किया भारतीय भाषा परिषद की कार्यकारिण सदस्य बिमला पोद्दार ने।
प्रथम तकनीकी सत्र के में मुख्य वक्ता के रूप में नीदरलैंड्स से पुष्पिता अवस्थी ने अपने विचार प्रकट किए।सत्र संचालन प्राध्यापक ॠतु माथुर ने किया।इस सत्र की अध्यक्षता शिवाजी विश्वविद्यालय के पूर्व डीन अर्जुन चव्हाण ने की।द्वितीय तकनीकी सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षक प्रशिक्षण विश्वविद्यालय, कोलकाता की कुलपति सोमा बंद्योपाध्याय ने अपना वक्तव्य रखा।मुख्य वक्ता के रूप में संदीप अवस्थी ने अपने विचार प्रकट किए।सत्र का संचालन प्राध्यापक दीपा रस्तोगी ने किया और अध्यक्ष के रूप में अपना वक्तव्य रखा केंदीय हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्याक्ष अनिल शर्मा जोशी ने।
प्रस्तुति : सुशील कान्ति