वरिष्ठ कवि।अद्यतन कविता संग्रह सूखे पत्तों पर चलते हुए’, ग़ज़ल संग्रह थोड़ी बातें, थोड़ी यादें, थोड़ा डर

गफलत में गलत आदमी की हत्या

कोफ्त में मुस्कराना अदा तो नहीं ही है
दुख, रंज, परेशानी से भी आगे की
एक मानसिक यंत्रणा है कोफ्त है

किसी को हुई होगी ऐसी कोफ्त
जब पता लगा हो
नाम पूछने के बाद भी, गफलत में
गलत आदमी की हत्या हो गई?

हत्यारे की तो अदा ही ठहरी होगी
वरना हत्या के आरोप में गिरफ्तारी के वक्त
मुस्कराना किसे सुहाता है

देखने, सुनने, पढ़ने वाले ने
एक बारगी अपनी मौत जरूर देख ली होगी
बुझे दीपक की तरह, खो गया होगा अंधेरे में
पूछने लगा होगा खुद से
आखिर नाम पूछा ही क्यों गया?
हत्या का जुनून था तो
क्या नाम और कैसा धर्म

खबर दरबार तक पहुंचेगी
तो शायद बिना कोफ्त के
मुस्कराएगा गाफिल
और कहेगा, अबके कपड़े उतारकर देखना
अगली बार सही आदमी को मारना!

संपर्क :७८, रेलवे कॉलोनी, आनंद नगर, खंडवा४५००१ (मप्र) मो.८९८९४२३६७६