कविता संग्रह ‘दो एकम दो’। कुछ साल नौकरी करने के बाद स्वतंत्र लेखन।

1-पिता

पिता को
बूढ़ा होते देखना
उदास करता है, दुख देता है
पिता
कभी बूढ़ा नहीं होता
पिता
आसमान होता है
जिसके नीचे बैठ
हम तारे देखते हैं।

2-रोटी

आदमी
हमेशा भीड़ के पीछे
नहीं भाग सकता
रोटी के पीछे
भागता है
क्योंकि दुनिया नहीं
रोटी गोल है।

3-घर लौटना

पृथ्वी पर एक घर
हमें ब्रह्माण्ड से जोड़ता है
मैं जब-जब आकाश की ओर देखती हूँ
पृथ्वी के मोह में जकड़ जाती हूँ
गोधूलि में पक्षी अपने-अपने घर लौटते हैं
आकाश में छाई लालिमा
पृथ्वी का दुख भरा कलेजा है
पेड़, झुरमुटों की उबासी
पृथ्वी के मन का द्वंद्व
ऐसे में हर कोई अपने घर
लौटना चाहता है
धरती की आखिरी छोर ही
हमें घर का पता देती है
घर तक पहुँचना
कई-कई जंगल, पहाड़, पठार
और नदियों को पार करने जैसा है
घर लौटना एक क्रिया नहीं कला है
संगीत और उमंग है
खिड़की से दिखता है चाँद
चौखट पर सुबह की पहली धूप में
बहुत निश्चिंतता और संतोष है
पूरी पृथ्वी नप जाती है
और सारांश में आता है
एक घर
घर लौटना दुनिया की
सबसे सुंदर कविता है।

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