वरिष्ठ कवयित्री। कविता संकलनज्यामिति। संप्रति श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, केरल में प्रो़फेसर।

अहल्या

1.
समय ने दे मारा था
अहल्या तीव्र गति से आई
आश्रम की खिड़की पर लगे
कांच पर जाकर सीधे गिरी
चौंक गए मुनिवर
भीतर से वे कांप गए
शीशा पहले चटका
फिर टूटकर बिखर गया।

2.
शापग्रस्त हूँ
पत्थर बना दी गई हूँ
हे प्रभु मोक्ष देना
पर पुन: स्त्री मत बना देना
भालू हिरन श्वान मार्जार या
चील कौवा गुटरगूं कबूतर
या फिर क्रौंच पक्षी बना देना
ताकि नैसर्गिक की परिधि में
स्वीकृत हों जाएं मेरी भी इच्छाएं
उभरे करुणा
फूटे मेरे लिए भी कोई कविता-
‘मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।
यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी काममोहितम्॥’

3.
अहल्या पहले पत्थर बनी
फिर सभ्यता की यात्रा में
वह सिल बनी लोढ़ा बनी
ओखल बनी चक्की बनी
फिर पुरातत्वविदों के लिए
वह शोध की सामग्री बनी
संग्रहालय के एकांत में जाकर
अतीत की स्मृतियों में खोती गई
थक चुकी थी, आंख लगने लगी
मिथक की
चादर कोई ओढ़ा गया।

4.
पत्थर हो गई थी अहल्या
पहाड़ पर चढ़ गई
जंगल में उतर गई
बहती हुई नदियों से
गिरते हुए झरनों से
पेड़ों पौधों और जंगली पशुओं से
चहकती चिड़ियों से
सद्यःप्रसूता बाघिनों से
हरी घास पर खेलते शावकों से
उसकी दोस्ती हो गई
और अहल्या स्त्री हो गई।

5.
अहल्या घर आई
पानी के लिए पूछा
तो बोली
पत्थर हूँ पानी नहीं पीती
खाने के लिए कहा
तो बोली
ठोकर खाती हूँ कुछ और नहीं
बैठक में आ बैठो
तो बोली
चिकनी नहीं हूँ न गोलाकार
पॉलिश भी नहीं करवाती बार-बार
बैठक में नहीं आ सकती
सेहत का हाल जानना चाहा
तो बोली
सख्त है अब भी खुरदुरापन
सह लेती हूँ मौसम की मार
पूछा कि कहां रहती हो
तो बोली
बहुतों की अकल में पड़ी रहती हूँ
कोई विवश छाती पर रख लेता है!

6.
पत्थर थी अहल्या
तोड़ी गई तो गिट्टी बन गई
क्रशर में पहुँची तो
कृत्रिम रेत बन गई
लॉरी में भर दी गई
रात भर के सफर में रही
सुबह किसी कंस्ट्रक्शन फील्ड के
कोलाहल में गिरा दी गई
फिर किसी कंपनी के सीमेंट में
पानी से गूंथ दी गई
चारदीवार की सतह पर
पटक-पटक चिपका दी गई
कर्नी से चला दी गई
समतल कर चिकनी कर दी गई
लेपनों से पोतकर रंग दी गई
विज्ञापन में खूब दिखाई गई
अब मुनाफे की चीज बन गई।

संपर्क : भाषा’ VE-05-A वेंगूर, वेंगूर  पोस्ट  ऑफिस, अंकमाली, एर्नाकुलम जिला, केरल 683572/ मो. 9447291549