जन्म ६ दिसंबर १९४५ ।अपनी फ़िल्म एलिज़ाबेथके लिए आस्कर पुरस्कार के लिए मनोनीत एक अभिनेता और निर्देशक होने के साथसाथ एक कवि भी।

 

 

 

 

हिंदी रूपांतरण : उपमा ऋचा
युवा कवयित्री
, लेखिका और अनुवादक।सात महत्वपूर्ण साहित्यिक एवं ऐतिहासिक कृतियों का हिंदी अनुवादमौलिक पुस्तक एक थी इंदिरा’ (इंदिरा गांधी की जीवनी)

 

 

मैं

मैं, बहुत ज्यादा नहीं
पर बहुत कम भी नहीं हूँ मैं
मैं वो नहीं
जो तुमने सोचा कि मैं हूँ
मैं वो भी नहीं
जो खुद मैंने सोचा कि मैं हूँ
मैं हूँ
वो सब, जो है
और वो सब जो नहीं है
मैं
नहीं कहा गया कभी
और न कहा जाऊंगा कभी
मैं, न निश्चित
न अनिश्चित
मैं
वो हूँ
जिसके पास कोई शब्द नहीं
ये जताने को
कि मैं
बस मैं हूँ!

एक पत्ती

सुभेद्य बनो
इतने सुभेद्य
कि झरती हुई पत्ती की पीड़ा भी
तुम्हें स्पर्श करे
और आंसुओं में डुबो दे
सचेत रहो
इतने सचेत
कि नन्ही नवजात तितली के पंखों की
पहली फड़फड़ाहट
भर दे आनंद से
तुम्हारे हृदय को।

अंधेरों की बात

हम अंधेरों के बारे में बात करते हैं
जैसे हम उजालों के बारे में बात करते हैं

जैसे यह प्रकट होता है
और फैल जाता है चारों ओर 
हम भूल जाते हैं
कि जैसे सर्दी; गर्मी कि अनुपस्थिति मात्र है
वैसे ही अंधेरा भी उजालों का अभाव भर है
लेकिन डर की छत
पूर्वाग्रहों की दीवार
नफरत की खिड़कियां
नासमझी के दरवाजे
खड़े करते हुए
हम इस खयाल की नस्ल बढ़ाते रहते हैं
कि अंधेरे में एक अपनी सुरक्षात्मक चमक होती है
ये सोचते हुए
हमें एहसास तक नहीं होता
कि यह खयाल
केवल हमारे अहम को पाल रहे हैं।

बात

एक बात कही
मैंने
तुमने
हम सबने
(हां) हम सबने कही
एक ही बात
फिर से
वही बात कही
मैंने भी
तुमने भी
हम सबने
हमने जो कहा
महज़ कहा
(लेकिन) हमने क्या कहा?

फुसफुसाहटें

क्या तुमने वो सरगोशी सुनी
जो तैर रही थी हवाओं में
लेकिन तुम्हारे खयाल से
महज एक खेल थी
तुम्हारे मन का
जिसे तुमने ठीक वैसे ही ग्रहण किया
जैसे तुम थे
यानी अंदर-बाहर दोनों जगह
शोर से खचाखच भरे हुए
क्या तुमने वो सरगोशी सुनी
जिसे तुमने पकड़ने की कोशिश की
लेकिन इससे पहले कि तुम उसे सुन पाते
वो छिटककर दूर चली गई तुमसे
क्या तुमने वो सरगोशी सुनी
जो तुम्हारी वजूद में समाई आपाधापियों के बीच से
किसी अनछुए गीत की तरह
दाखिल होने की कोशिश कर रही थी
मन की उदासीन धरती के भीतर…