मूल जर्मन से अनुवाद : शिप्रा चतुर्वेदी
1984 से जर्मन भाषा की शिक्षक। जर्मन साहित्य के कई रचनाकारों का हिंदी में अनुवाद। एक निजी इंस्टीट्यूट में जर्मन भाषा का अध्यापन कर रही हैं। मैक्समूलर भवन के केंद्रीय विद्यालय प्रोजेक्ट के लखनऊ क्षेत्र की समन्वयक।

हाइनरिश ब्योल

(1917-1985) नोबेल पुरस्कार प्राप्त जर्मनी के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले लेखकों में से एक। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियाँ – ‘बिलियर्ड्स एट हाफ-पास्ट नाइन (1959), एंड नेवर सेड ए वर्ड (1953), द ब्रेड ऑफ दोज अर्ली इयर्स (1955), द क्लाउन (1963), ग्रुप पोर्ट्रेट विद लेडी (1971), द लास्ट ऑनर ऑफ केथरिना ब्लम (1974) और द सेफ्टी नेट (1979)। यह कहानी 1948 में लिखी गई थी।

आपने अब मुझे मौका दिया है। आपने मुझे कार्ड सूचिका में लिखा था, मुझे दफ्तर आना चाहिए और मैं दफ्तर आ गया। दफ्तर में सभी बड़े सद्भाव से मिले। उन्होंने कार्ड सूचिका से मेरा कार्ड निकाला और बोले, ‘हम्म।’

मैं भी बोला, ‘हम्म।’

‘कौन सा पांव?’ अफसर बोला।

‘दाहिना।’

‘पूरा?’

‘पूरा।’

‘हम्म’, उसने फिर से कहा। फिर उसने विभिन्न कागजात में खोज-बीन की। मुझे बैठने की अनुमति मिली।

अंत में उस व्यक्ति को एक पन्ना मिला और ऐसा लगा कि यह उसे सही कागज प्रतीत हुआ। वह बोला, ‘मुझे लगता है, यह शायद तुम्हारे लिए है। एक अच्छी बात। आप बैठे-बैठे यह कर सकते हैं। स्वतंत्रता चौक पर सुलभ शौचालय में जूता पॉलिश करने वाला। कैसा रहेगा?’

‘मुझे जूते पॉलिश करना नहीं आता। जूते ठीक से साफ़ न कर सकने की वजह से मैं हमेशा ही सबकी निगाह में आ जाता था।’

‘यह आप सीख सकते हैं’, वह बोला। ‘इंसान सब कुछ सीख सकता है। एक जर्मन सब कुछ सीख सकता है। यदि आप ऐसा चाहें तो आप सीख सकते हैं, एक मुफ्त का कोर्स कर सकते हैं।’

‘हम्म’, मैंने प्रतिक्रिया की।

‘तो ठीक है?’

‘नहीं’, मैंने कहा, ‘मैं यह नहीं चाहता। मुझे कुछ बेहतर कमाई चाहिए।’

‘आप सनकी हैं।’ उसने बड़ी सज्जनता और मित्र भाव से प्रतिवाद किया।

‘मैं सनकी नहीं हूँ। मेरा पांव कोई मुझे लौटा नहीं सकता, यहां तक कि मुझे एक सिगरेट बेचने की भी अनुमति नहीं है, वे मुझे परेशान करते हैं।’

वह व्यक्ति कुर्सी की पीठ से टिक गया और उसने जोर की सांस ली। ‘मेरे प्यारे दोस्त’ वह आगे की ओर हो गया, 

‘आपका पांव अभिशप्त रूप से महंगा है। मैं देख रहा हूँ कि आपकी उम्र अभी उनतीस वर्ष है, दिल स्वस्थ है, पैर के अलावा आप पूर्णतः स्वस्थ हैं। आप सत्तर साल तो जिएंगे ही। आप स्वयं ही गणना कीजिए, सत्तर मार्क प्रतिमाह, साल में बारह बार यानी इकतालीस गुणा बारह गुणा सत्तर। गणना कीजिए, बिना कर के और आपका पांव कोई इकलौता पांव नहीं है। आप अकेले ही नहीं हैं, जो शायद लंबा जीवन जिएंगे और बढ़ी हुई पेंशन पाएंगे! माफ़ कीजिएगा, पर आप सनकी हैं।’

‘श्रीमान’, मैं बोला, उसी तरह पीछे की ओर टिक गया और गहरी सांस ली, ‘मुझे लगता है कि आप मेरे पांव को बहुत कम करके आंक रहे हैं। मेरा पांव कहीं ज्यादा महंगा है, यह बहुत महंगा पांव है। क्योंकि मैं सिर्फ दिल से ही नहीं, बल्कि दिमाग से भी पूर्णतः स्वस्थ हूँ। इस बात का ध्यान रखिएगा।’

‘मेरे पास समय बहुत कम है।’

‘ध्यान दीजिएगा, क्योंकि मेरे पांव ने बहुत से लोगों के जीवन की रक्षा की है जो अब पेंशन पा रहे हैं।’

‘तो ऐसा हुआ था, मैं बिलकुल अकेला आगे कहीं लेटा हुआ था और मुझे इस बात पर ध्यान देना था कि वे कब आते हैं, ताकि अन्य लोग सही समय पर भाग सकें। आला कमान अधिकारी मय सहायक अधिकारियों के पीछे सामान समेट रहे थे।  बहुत जल्दी में नहीं थे, पर बहुत देर से भी नहीं जाना चाहते थे। सबसे आगे हम दो थे, पर उसे उन लोगों ने मार गिराया। उसकी अब कोई कीमत नहीं है। वह विवाहित था, पर उसकी पत्नी स्वस्थ है और काम कर सकती है, तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। वह तो भयंकर रूप से सस्ता था।  वह मात्र चार सप्ताह पहले ही सैनिक बना था और एक पोस्टकार्ड तथा थोड़ी सी डबलरोटी के अलावा उस पर कुछ खर्च नहीं हुआ। वह किसी समय एक बहादुर सैनिक था, जिसने सही समय पर प्राण गंवाए। अब मैं वहां अकेला पड़ा था, डर लग रहा था, बहुत ठंडक थी और मैं भी भाग जाना चाहता था। हाँ, मैं तभी भाग जाना चाहता था…’

‘मेरे पास समय बहुत कम है’ और वह अपनी पेंसिल ढूंढ़ने लगा।

‘नहीं, आप ध्यान से सुनिए, मैं बोला। अब यह वास्तव में दिलचस्प हो गया है। मैं भाग जाना चाहता ही था कि यह पांव वाली घटना हो गई। और चूंकि मैं पड़े रहने के लिए बाध्य था, तो मैंने सोचा, मुझे इसकी घोषणा कर देनी चाहिए और मैंने घोषणा कर दी। उन्होंने टुकड़ी में सबको भगा दिया, क्रमानुसार, सबसे पहले डिविज़न, फिर रेजिमेंट, फिर बटालियन और ऐसे ही। हमेशा क्रमवार। कैसी बेवकूफी थी, क्योंकि वे इतनी जल्दी में थे कि मुझी को साथ ले जाना भूल गए, समझे आप? वास्तव में एक बेवकूफी भरी कहानी, क्योंकि यदि मैंने अपना पांव नहीं खोया होता तो वे सब मर गए होते, जनरल, कर्नल, मेजर, क्रमानुसार और तब आपको उन्हें पेंशन देने की ज़रूरत नहीं पड़ती। जनरल बावन साल का है, कर्नल अड़तालीस साल का है, मेजर पचास का, सभी पूर्णतया स्वस्थ हैं, दिल व दिमाग दोनों से, और सैनिक जीवन प्रणाली के हिसाब से वे कम से कम अस्सी साल के तो हो ही जाएंगे। जैसे हिंडेनबुर्ग। जरा गणना कीजिए, एक सौ साठ बार, बारह गुणा तीस, औसतन तीस, हैं न? मेरा पांव एक बेशकीमती पांव हो गया, सबसे महंगे पांवों में से एक, जहां तक मैं सोच सकता हूँ। समझे आप?’

‘आप सनकी हैं।’

‘नहीं’, मैंने प्रतिवाद किया, ‘मैं सनकी नहीं हूँ। दुर्भाग्यवश मैं दिल से और साथ ही साथ दिमाग से भी एकदम स्वस्थ हूँ। यह अफसोस की बात है कि यह जो पांव वाली घटना हुई उसके दो मिनट पहले मैं गोली से मार नहीं गिराया गया। हम बहुत पैसा बचा सकते थे।’

‘आप यह नौकरी स्वीकार करते हैं?’ वह व्यक्ति बोला।

‘नहीं।’ मैंने कहा और वहां से चल दिया।