युवा कवि। काव्य संग्रह तो सुनोऔर दुनिया लौट आएगी। संप्रतिः अध्यापन।

इतिहास

प्राचीर में लगे हुए पत्थरों पर
वास्तुकला के कुशल कारीगर
जब उकेरते हैं विभिन्न चित्रकारी
तब वह साक्षी होता है इतिहास का

हवाओं में खड़खड़ाता हुआ इतिहास
मिट्टी में मिली सोंधी सुगंध की तरह
बिखेरता है अपना अस्तित्व

पाषाण की तराशी गईं मूर्तियां
गुंबदों पर रंग बिरंगी नक्काशी
मिट्टी के गर्भ में दबी
विशाल बुर्ज की चटक ईंटें
बन जाती हैं इतिहास की अमिट गवाही

विकसित की गई ललित कलाएं
मुखरित होती हैं देशकाल के मस्तक पर
लड़े गए युद्धों के पदचाप
योद्धाओं के बिखरे हुए आयुध
रक्तरंजित धरती के चिह्न
दिशाओं में बीभत्स चीत्कार
जीवंत रहता है सदियों तक

इतिहास जब पन्नों से मिटाया जाता है
तब इतिहास स्मृति बनकर
लोक के मर्म में स्पंदित होता है
जब किसी देश में
दफ़न किया जा रहा होता है इतिहास
तब वह दूसरी जगह लिपिबद्ध रहकर
लांघ जाता है देश की सीमा
जैसे बौद्ध धर्म की कलगिया
बची रही विदेशी सरजमी पर
वैसे ही इतिहास
कभी न खत्म होने वाली इबारत है
कभी न कभी उसके हरफ
जन्म लेंगे किसी न किसी लिपि में

भू गर्भ में समाधिस्थ शिलालेख
कहेंगे अपने खत्म किए गए
इतिहास की अमर गाथा
कि इतिहास के खत्म किए गए पृष्ठ
मिलेंगे किसी पुस्तकालय की
धूलभरी अलमारियों की
जर्जर हो चुकी ग्रंथावलियों में

इतिहास
समय के पृष्ठ पर अंकित लिपि है
जो पढ़ी जाएगी
धरती के गर्भ को चीरकर…।

श्रीमती राममूर्ति कुशवाहा, शिव कालोनी, टापा कला, जलेसर रोड, फिरोजाबाद, (उ प्र)मो.7500219405