युवा कवि और कहानीकार।  बाल कहानी संग्रह आसमान में उड़ना है। संप्रति सरकारी सेवा में।

गजल

सहते नहीं हैं लोग जो सहना पड़ा मुझे
बरसों इस एक हाल में रहना पड़ा मुझे

जिस रंग के छींटे ये तुझे नापसंद हैं
दामन उसी ही रंग में रंगना पड़ा मुझे

बाहर की हर लड़ाई को तो जीतता गया
पर खुद से पहले बारहा लड़ना पड़ा मुझे

दुनिया की रंगतों ने ही मजबूर कर दिया
दिल को जरा कठोर भी करना पड़ा मुझे

सच है कि इस जहां को हकीकत नहीं पसंद
यूं ही नहीं लिबास बदलना पड़ा मुझे।

एम एस ए २०१ टाइप ३, बहुखंडी सचिवालय कॉलोनी, महानगर लखनऊ-२२६००६