युवा गजलकार। अद्यतन गजल संग्रह चांद बैठा हुआ है पहलू में

गजल

देखकर मंजर जमीं के देवता भी डर गए
आदमी तो काम शैतानों से बदतर कर गए

कैसे भूलेंगे भला हम जालिमों के ये सितम
मुल्क भर में किस तरह कुचले हमारे सर गए

दफ्न कर दो दरमिया जोधा-ओ-अकबर के हमें
सब गटर तो शहर के लाशों से कब के भर गए

बे-नतीजा रह गईं दिल्ली में सारी बैठकें
अन्नदाता खेत की मेड़ों पे भूखे मर गए

शाम को तक़रीर की हाकिम ने रोटी-दाल पर
सुबह को फुटपाथ पर मासूम भूखे मर गए।

गांवमहानंदपुर, पोस्टगंधरपुर, तहसीलपुवायां, जिलाशाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश242401मो.7668666278