युवा कवि। विभिन्न पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित। संप्रति अध्यापक।
मां ने बनाया है हृदय
मां ने बनाया है हृदय
घड़े के समान पकाया है इसे
फिर एक दिन उसने
अपने ममत्व के शीतल जल से इसे भर दिया
काफी दिनों बाद जब मन हुआ उसका
तो जल के स्थान पर उसने
जोड़-तोड़कर दिन-रात
अपनी मेहनत से कमाए गहने इसमें छुपा दिए
ये गहने
स्नेह और करुणा की धातुओं से निर्मित थे
मां ने मुझे एक कुंभकार की तरह गढ़ा
और कीमती गहने सौंपे
मां कुम्हारन है मां सुनारिन है!
यह धरती केवल मनुष्यों के लिए नहीं है
यह धरती केवल मनुष्यों के लिए नहीं है
यह उस नदी के लिए भी है
जो पत्थरों पर बहते हुए
पत्थरों से टकराती हुई
अपने दिल को अभिव्यक्त करती है
यह उस चिड़िया के लिए भी है
जो बारिश से पहले
अपना घोंसला तैयार करने में जुटती है
यह उन फूलों के लिए भी है
जिन्हें बसंत में दमकना है
हमें यह भूल जाना है
कि धरती केवल मनुष्यों के लिए बनी है
या केवल इसे रौंदने के लिए।
पानी पताशे वालों की गली, राजराजेश्वर मंदिर के पास, हरिनगर विस्तार, झालावाड़–326001 (राजस्थान) मो.9252208963