एक सूफी फकीर की ख्याति सुनकर एक व्यक्ति ज्ञान प्राप्ति के लिए उसके पास पहुंचा। वहां उसने देखा कि संत एक हाथ में टोकरी उठाए दूसरे हाथ से पक्षियों को दाना चुगाने में व्यस्त हैं। व्यक्ति ने देखा, दाना चुगाते हुए संत बच्चों की तरह खुश थे।
बहुत देर तक संत उस व्यक्ति की तरफ देखा ही नहीं। परेशान होकर व्यक्ति संत के निकट पहुंचा। संत ने बिना उसकी ओर ठीक से देखे, टोकरी उसे थमा दी और कहा, ‘अब तुम पक्षियों के साथ आनंद लो।’
साधना का रहस्य जानने के लिए आया व्यक्ति हैरान था। संत उसकी परेशानी समझ गए। बोले, ‘खुद की परेशानियों को भुलाकर जीव मात्र को आनंद पहुंचाने का प्रयत्न ही जीवन के आनंद का रहस्य है और हर सिद्धि का भी। यदि तुम आनंद पाना चाहते हो तो दूसरों को आनंद देना सीखो। यह साध लोगे तो समझ लो साधना पूरी हो गई। आध्यात्मिक जीवन का एक ही अर्थ है दूसरों को सुख बांटना।