भाष्कर चौधरी
काव्य संकलन ‘कुछ हिस्सा तो उनका भी है’ एवं गद्य संकलन ‘बस्तर में तीन दिन’(यात्रा वृतांत) प्रकाशित
1- सीरिया
सीरिया में बच्चों को हँसना
सिखा रहे हैं पिता
इधर फूटता है बम
उधर हँसता है बच्चा
बच्चों का हँसना
एक सामान्य क्रिया है
जो हर किसी को आकर्षित करता है
अनगिनत कवियों ने अनगिनत बार कविताओं में
कहा है कि
बच्चों का हँसना जैसे
फूलों का खिलना
मेमने की छुवन
जैसे तितलियाँ रस खींचती हैं फूलों से
क्या अब लिखेंगे कविगण
बच्चे की हँसी पर कविता
कि जब बम फूटता है तो
बच्चा हँसता है!
2- शुतुरमुर्ग
मैंने बंद कर लीं आँखें
और सोचा शुतुरमुर्ग की तरह
कि अंधी है दुनिया
जम्हाई ली मैंने
और सोचा चिड़ियाघर में
कैदी शेर की तरह
उबासियाँ ले रही है सारी दुनिया
चुप हो गया मैं
और सोचा शीत निद्रा में पड़े
ध्रुवीय भालू की तरह
कि इन दिनों ऐसी ही है दुनिया!
1/बी/83, बालको (कोरबा). छत्तीसगढ़-495684
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