युवा कवयित्री।लोक  नृत्य  और अभिनय में रुचि।गया कॉलेज में स्नातक की छात्रा।

पूरी रात

महसूस करती हूँ सच को
सुख के पलों को बांटते हुए
रातें कितनी छोटी पड़ जाती हैं
पर एक सपना फिर पीछा करता है
शहर खून से सना
और चीलों का चिल्लाना
वो रातें कितनी लंबी होती हैं
जब किसी की बाहों के बिना
जान गवानी हो
कोई अपना पास न हो
और मौत सामने खड़ी हो
मरना खुशनुमा होता बाहों के घेरे में!

झूठ के पाश

नहीं बना पाई मैं जगह
उस झूठ के बीच
जो वर्षों से पीछा कर रहा था
झूठ की बाहें बड़ी मजबूत होती हैं
उसे झूठ से प्यार है
झूठ की देह से प्यार है
झूठ के उस अंदाज से प्यार है
जो किसी को भी बांध ले
जब झूठ सुंदर हो तो
कैसे रोके कोई खुद को!

संपर्क : द्वारा श्री ईश्वर सिंह, ग्रामनियाजीपुर, पोस्टकुजापी, थानाचंदौती, गया८२३००२, मो. ९५७६६१६६८५