वरिष्ठ कवि। अद्यतन कविता संग्रह ‘संवेदनाओं के क्षरण काल में’।
भरोसा
उसने भरोसा ही किया कि
अपने हाथ काट कर दे दिए
उसने भरोसा ही किया कि
सहर्ष अपने पांव हवाले कर दिए
और कहा कि खूब चलो
शिखर तक पहुंच जाओ
तुमने पृथ्वी ही रौंद डाला
दानवीर ऐसा कि
तुमने जब कहा कि
अब गर्दन भी चाहिए
वह बिलकुल नहीं हिचकिचाया
माइनस तीस डिग्री सेल्सियस में
उसकी गर्दन एक पेड़ पर लटकी है
वह पूछ रहा है
क्या तुम्हें अब भी कुछ चाहिए?
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