(1926-1966)। अपना परिचय ‘पोइट, नॉट ए पेंटर’ के तौर पर देने वाले फ्रांसिस रसेल फ्रेंक ओ हारा एक अमरीकी लेखक, कवि और कला समीक्षक थे। उन्होंने आत्मकथात्मक लेखन के अतिरिक्त ‘न्यूयार्क स्कूल ऑफ पोयट’ के सबसे डायनमिक लीडर के रूप में भी नाम कमाया। प्रस्तुत है उनकी कविता ‘इन मेमोरी ऑफ माय फीलिंग्स’ का अनुवाद।
मेरे सन्नाटे
मेरे सन्नाटों में शामिल है एक शख़्स
जो पारदर्शी कांच-सा आर-पार नजर आता है
वह मुझे चलती सड़क से
चुपचाप उठा ले जाता है
किसी डोंगी की तरह
उसकी बहुत-सी बातें दूसरों से मिलती हैं
जैसे मिलता है एक सितारा दूसरे से
या एक साल दूसरे साल से
या एक आंकड़ा दूसरे आंकड़े से
मेरे सन्नाटों में छिपे हैं अनगिन नग्न स्वार्थ
मैंने उधार ले रखी हैं कई पिस्तौलें
उनसे बचने के लिए
जिनके मन में हिंसा है
और जो बड़ी आसानी से
पहचान लेते हैं मेरा हर हथियार
हालांकि सर्दियों में
वे भरे रहते हैं
ठंडी एनिसेट* के रेगिस्तानी स्वाद में डूबे
गुलाबों जैसी गुनगुनाहट से
लेकिन
कभी-कभी अकेलेपन से जूझती मेरी आंख
खुलती है सर्द आसमान में
और मैं इस दुनिया को ऐसे देखता हूँ
जैसे देखता हूँ अपने साथी पहाड़ों को
मैनफ्रेड मेरी गोद में उछलता है
कुछ कहता है
लेकिन मैं उसे सुन नहीं पाता
‘ओह मुझपर उदासी की
कितनी गाढ़ी नीली परत चढ़ चुकी है’
एक हाथी चिंघाड़ता है
आंसुओं के झरोखों से बिखरते जाते हैं सिक्के
रेशम फैला लेता है अपनी परछाईं कांधे तक
एक गोली चलती है
मेरा एक हिस्सा भागता है खिड़की की तरफ़
और दूसरा
ट्रेक पर फड़फड़ाता है गुलाबी फ़्लेमिंगो के बीच
एक, दो, तीन, चार
और जैसे ही उन्होंने लगाया आख़िरी चक्कर
झुलसकर काले पड़ गए मेरे होंठ
…..
मेरे कई रूप नहीं रोक सकते यह दौड़
स्याह डर है धरती में
सूखे मशरूम में
गुलाबी पंखों में, रसीदों में
सांसों की अदृश्य कराहों में, विषैले प्रेम में
और उनके बीच मैं
जैसे शिकारी चिड़चिड़ाता है
तड़पता है और फिर फट जाता है
ज्यों ही बैराज बलून छिप जाते हैं
बादलों के पीछे
और फिसल जाता है ट्रिगर हाथ से
नुकीले नाखूनों को देख
लाल हो जाती हैं जहरीली आंखें
कितना साफ है मेरा पारदर्शी अक्स
घायल सांप की तरह फुफकारता है
किसी घबराहट के बगैर
और सुनो आजकल वो मेडुसा** जैसा दिखता है।
* सौंफ की शराब
** ग्रीक पुराकथाओं का एक खल पात्र
उपमा ऋचा |
संपर्क : upma.vagarth@gmail.com