साक्षात्कार

(10 अक्तूबर 2024। स्थान : साउथ कोरिया। हान कांग के घर में यह दिन दूसरे दिनों की तरह बीत रहा था। यानी शांत, मौन और चुपचाप! वह बस अभीअभी अपने बेटे के साथ रात का खाना खत्म करके उठी थीं कि कोने में शांत रखा फोन घनघनाने लगा। हान ने कॉल रिसीव की, जो नोबल ओर्गेनाइजेशन की ओर से जेनी राइडन थी। प्रस्तुत है उनके बीच हुई बातचीत के चयनित अंश)

जेनी राइडन : आपके लिए नोबल साहित्य सम्मान का क्या अर्थ है?
हान कांग : यकीनन मैं सम्मानित महसूस कर रही हूँ। मैं आपकी और इस सम्मान की सराहना करती हूँ। सच में मैं इसकी सराहना करती हूँ।

जेनी राइडन : आप साउथ कोरिया में यह सम्मान हासिल करने वाली पहली महिला हैं। कैसा अनुभव है यह?
हान कांग : मैं किताबों के साथ पली-बढ़ी। कितनी अच्छी बात है कि जब मैं छोटी थी, तभी से कोरियन भाषा की किताबों और अनुवादों के साथ बड़ी हुई। इसलिए मैं कह सकती हूँ कि मैं कोरियन साहित्य के बहुत निकट हूँ। और उम्मीद करती हूँ कि यह सूचना कोरियन साहित्य के पाठकों, मेरे करीबी मित्रों और लेखकों के लिए भी सुखद होगी।

जेनी राइडन : आपने कहा कि आप साहित्यिक पृष्ठभूमि से हैं। कौन से लेखक आपकी प्रेरणा के मूल स्रोत रहे?
हान कांग : मेरे लिए जब मैं छोटी थी, तभी से सभी लेखक सामूहिक अर्थ और प्रभाव रखते हैं। वे जीवन का अर्थ तलाशते हैं। कभी वे पराजित होते हैं, कभी संकल्पित, उनके सभी प्रयास और उनकी समस्त शक्तियां मेरी प्रेरणा हैं। इसलिए मेरे लिए प्रेरणा के रूप में कोई एक नाम लेना कठिन है। बहुत कठिन…

जेनी राइडन : मैंने कहीं पढ़ा था कि स्वीडिश लेखक एस्ट्रिड लिंडग्रेन आपकी प्रेरणाओं में से एक हैं?
हान कांग : हां! जब मैं छोटी थी, मुझे उनकी किताब ‘लोइनहार्ट ब्रदर्स’ बहुत पसंद थी। आज भी उनकी किताबें पसंद हैं, लेकिन मैं यह नहीं कह सकती कि केवल वे ही मेरे बचपन की प्रेरणा थीं। जब मैं वह किताब मतलब ‘लोइनहार्ट ब्रदर्स’ पढ़ रही थी, मैं इसे अपने जीवन के, मृत्यु के और मनुष्यों के विषय में अपने प्रश्नों से जोड़ पा रही थी।

जेनी राइडन : आपकी किताबें जो खोज रहे हैं, उनलोगों को आप कहां से शुरू करने की सलाह देंगी?
हान कांग : मेरी किताबों में से? मुझे लगता है सभी लेखक अपनी ताजा किताब को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। मेरी नई किताब ‘वी डू नॉट पार्ट’ (‘आई डू नॉट बिड फेयरवेल’ या ‘इंपोसिबल गुडबाय’) है। मुझे लगता है यह किताब एक अच्छा आरंभ हो सकती है। ‘ह्यूमन एक्ट्स’ सीधे तौर पर इस किताब माने ‘वी डू नॉट पार्ट’ से जुड़ती है। और इनके बाद ‘द व्हाइट बुक’ जो मेरे लिए बहुत निजी किताब है। क्योंकि यह काफी हद तक आत्मकथात्मक है। इसके अलावा ‘द वेजिटेरियन’ तो है ही, लेकिन मुझे लगता है शुरुआत ‘वी डू नॉट पार्ट’ से की जा सकती है।

जेनी राइडन : अंतरराष्ट्रीय पाठकों में, शायद ‘द वेजिटेरियन’ सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध है। यह किताब आपके लिए क्या मायने रखती है?
हान कांग : मैंने इस किताब को तीन साल में लिखा था, और किन्हीं कारणों से वे तीन साल मेरे लिए बहुत कठिन थे। मुझे लगता है मैं अपनी प्रोटोगोनिस्ट की, उसके आसपास के लोगों की, और वृक्षों की, और धूप की, और सबकी छवि तलाशने के लिए संघर्ष कर रही थी। उन तीन सालों में सब कुछ बहुत ज्वलंत था। बहुत सघन…

जेनी राइडन : आप इन क्षणों को कैसे सेलिब्रेट करेंगी, कुछ सोचा है आपने?
हान कांग : इस फोन कॉल के बाद मैं चाय पीना चाहूंगी। वैसी मैं पीती नहीं हूं, लेकिन अभी मैं आपने बेटे के साथ चाय पीऊंगी और आज की रात इस सम्मान को चुपचाप सेलिब्रेट करूंगी।

जेनी राइडन : बहुत बेहतर। आपको फिर से बहुत-बहुत बधाई! (समय देने के लिए) अनेक आभार!

हान कांग की तीन महत्वपूर्ण किताबें

द वेजिटेरियन : 2016 में बुकर प्राइज से सम्मानित, अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त यह उपन्यास एक ऐसी अधेड़ कोरियन महिला की कहानी कहता है, जो एक रात अचानक मांसाहार न करने का निर्णय ले लेती है। उपन्यास में मांसाहार से शाकाहार की ओर मुड़ने वाली प्रोटोगोनिस्ट को लेखिका ने ‘मौन’ रखते हुए, उसकी कहानी का बयान उसके पति, उसके ससुराल पक्ष के एक रिश्तेदार और उसकी बहन के माध्यम से किया है। परिवार की एक नगण्य-सी स्त्री के द्वारा अचानक सबको ‘शर्मसार’ करने वाला इतना बड़ा निर्णय लेने,  निर्णय से पीछे हटने से इनकार करने और इसे अपनी गलती न मानने के बरक्स बाकी सदस्यों की प्रतिक्रियाओं (जिसमें घृणा से लेकर ईर्ष्या तक शामिल है) के माध्यम से लेखिका ने पितृसत्तात्मक समाज का सटीक चित्र खींचा है। सत्य से आहात हुए बगैर उसे देखने की हिम्मत रखने वालों के लिए यह उपन्यास एक अच्छा अनुभव हो सकता है।

ग्रीक लेसंस : कलेवर में छोटे लेकिन मनोवैज्ञानिक रूप से गहन इस उपन्यास में दो व्यक्तियों की एक अंतरंग तस्वीर खींचने की कोशिश की गई है, जो खुद का एक हिस्सा खो चुके हैं, या खोने की प्रक्रिया में हैं। और यही वह कड़ी है, जो उन्हें बाहरी दुनिया से (प्रकारांतर में एक-दूसरे से) जोड़ती है। कहानी में घरेलू प्रताड़ना की शिकार महिला प्रोटोगोनिस्ट अपनी आवाज खोकर मूकदर्शक बनकर रह गई है, जबकि पुरुष नायक वंशानुगत बीमारी के कारण धीरे-धीरे अपनी दृष्टि खोता जा रहा है। बात करने की क्षमता हासिल करने के लिए महिला प्राचीन ग्रीक का पाठ्यक्रम शुरू करती है, क्योंकि उसे लगता है कि न बोली जाने वाली भाषा, उसे चोट नहीं पहुंचा पाएगी।  इस क्रम में वह दृष्टि खो रहे व्यक्ति से मिलती है, जो उसका ग्रीक शिक्षक ही होता है। यह उपन्यास एक तरह की नाजुक प्रेमकथा है, जिसमें यदि एक साझा दुख से उबरने की नहीं, तो कम से कम में राहत की एक साझी जमीन खोजने की कोशिश अवश्य है। यह किताब भाषा के बारे में भी है। माने यह बताती है कि कैसे शब्द हमारे भीतर और बाहरी की दुनिया को आकार और अर्थ देने में मदद कर सकते हैं, या कैसे हमें उस तत्व से दूर ले जा सकते हैं, जिसे हम अपनी ‘पहचान’ कहते हैं।

ह्यूमन एक्ट्स : इस किताब में हान कई अलग-अलग, और बदलते दृष्टिकोणों के माध्यम से अपने देश के अतीत पर एक तिरछी, लेकिन कठोर और पूरी तरह से आश्वस्त करने वाली नज़र डालती हैं, जो लगभग असहनीय कथात्मक रहस्य पैदा करती है। उपन्यास मई 1980 में ग्वांगजू शहर में एक छात्र विद्रोह में भाग लेने वाले, या निर्दोष रूप से पकड़े गए पीड़ितों के रूप में कई लोगों के जीवन का वर्णन करता है, जिसे तत्कालीन सत्तारूढ़ सैन्य शासकों ने बेरहमी से कुचल दिया था। अपनी अन्य रचनाओं की तरह लेखिका यहां भी दोषी और पीड़ित, शरीर और आत्मा, जीवित और मृत के बीच की सीमा रेखा के दोनों छोर तक निर्द्वंद्व भाव से विचरती रहती है, कहन के स्तर पर भी और भाषा के स्तर पर भी। यहां भी हान ने ‘अतीत के साथ जीने’ की अभिव्यक्ति को एक नया अर्थ दिया है, जिससे आप न भाग सकते हैं और न ही उसका विरोध कर सकते हैं।

 

अनुवाद और प्रस्तुति : उपमा ऋचा
युवा कवयित्री
, लेखिका और अनुवादक।सात महत्वपूर्ण साहित्यिक एवं ऐतिहासिक कृतियों का हिंदी अनुवादमौलिक पुस्तक एक थी इंदिरा’ (इंदिरा गांधी की जीवनी)

 

 

संपर्क : upma.vagarth@gmail.com