हम एक विवाह में गए थे।वहां काफी अच्छे इंतजाम थे।हमने नाना प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों से अपनी पेट-पूजा की और संगीत के विविध कार्यक्रमों का जमकर आनंद उठाया।घर आया तो देखा, औरतें बड़ी उदास थीं।मैंने पूछा, ‘क्या हुआ? कितना अच्छा इंतजाम था।’
उन्होंने कहा, ‘लड़की अच्छी नहीं थी।इसलिए मन छोटा हो गया।शादी का मजा नहीं आया।’
मैंने प्रतिवाद किया, ‘लड़की अच्छी थी।’
उन्होंने पूछा, ‘यह तुम क्या कह रहे हो? लड़की एकदम साधारण थी।’
मैंने कहा, ‘तुमने लड़के को देखा।’
उन्होंने कहा, ‘हां, लड़का अच्छा था।मगर लड़के की सुंदरता से लड़की के रूप का क्या संबंध?’
मैंने कहा, ‘मैं लड़के के रूप की बात नहीं कर रहा।’
‘तो फिर?’
‘मैं लड़के के चेहरे और उसकी आंखों में खिली प्रसन्नता की बात कर रहा हूँ, जो स्पष्ट बता रही थी कि लड़की उसे पसंद है।जब वह खुश तो फिर हम इतने परेशान क्यों?’
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