जन–विज्ञान आंदोलन में वर्षों तक सक्रिय भूमिका। ‘सांप्रदायिक सद्भाव और हिंदी उपन्यास’ तथा ‘सत्ता, साहित्य और समाज’ शीर्षक से आलोचनात्क पुस्तकें और ‘चींटियाँ शोर नहीं करतीं’ कविता संग्रह प्रकाशित।
मधुमक्खियों को मालूम है
हर बार की तरह
शीघ्र ही ढहा दिया जाएगा
उनका किला
चुरा ली जाएगी उनकी मेहनत
फिर बेघर हो भटकना होगा उन्हें
नए ठिकाने के लिए
जैसे निर्माण पूरा होते ही
भटकने लगते हैं मजदूर
नए काम की तलाश में
सदियों से जारी है
मधुमक्खियों की मेहनत को लूटने का सिलसिला
और मजदूरों का
काम की तलाश
मगर
न मधुमक्खियां हार मानती हैं
न मजदूर काम तलाशना छोड़ते हैं
इनकी जिजीविषा ही
बचाए रखती है
पृथ्वी पर सृजन को।
संपर्क : गांव व डाकघर – चैलचौक, जिला – मंडी, हिमाचल प्रदेश– १७५०४५ मो.९४१८१२३५७१