वरिष्ठ लेखक। जनविज्ञान आंदोलन में वर्षों तक सक्रिय भूमिका। चींटियाँ शोर नहीं करतींकविता संग्रह सहित आलोचना की दो पुस्तकें।

 

संवाद

नन्हे पौधे ने
विशालकाय दरख्त से पूछा-
‘कैसे बच गए
वनकाटुओं से?’

दरख्त ने हँस कर कहा –
‘टेढ़ा था सो बच गया
सीधा होता तो
कौन जाने कब कट जाता।

गौरैया

उसकी जरूरत का
चोंच भर पानी
चार दाने अनाज के
और खुला आकाश
कहां सुरक्षित है आज?

चुप्पियां

हमारी चुप्पियों से
बढ़ते हैं
बदमाशों के हौसले
और
शरीफों के दुख।

गाँव व डाकघर चैलचौक,जिलामंडी, हिमाचल प्रदेश-175045मो.9418123571