कवि, गजलकार, दो ग़ज़ल संग्रह, एक कविता संग्रह व एक अनुवाद संग्रह प्रकाशित।नवल प्रयास शिमला साहित्यिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष।वर्तमान में नोएडा में निवास।
गजल : एक
हर किसी की शख़्सियत गुम है तेरे बाज़ार में
हर तरह का झूठ ही अब छप रहा अख़बार में
चील कौए नोच कर खाएंगे उसके जिस्म को
बद्दुआ केवल बची मजबूर के अधिकार में
मीडिया! मुंसिफ़ बना है, सब के सब हैं तंत्र ध्वस्त
कश्तियां निकलेंगी कैसे जो फँसी मंझधार में
हर इबारत खून से ही लिख रहे बच्चे यहां
ऑनलाइन हो गया बचपन तो कारागार में
तनहा पर्वत, शांत सागर, त्रस्त है जीवन बहुत
राख ही अब रह गई बुझते हुए अंगार में
एक गंगा फिर उठा कर पर्वतों से लाइए
गुल ही गुल फिर खिल उठेंगे हर दिले गुलजार में
वो अघोषित शक्तियों से तोड़ दे बेसाख़्ता
आंख भर के भी अगर देखा ‘शलभ’ दरबार में।
गजल : दो
दिन में निकल के देखिए सूरज के साथ-साथ
सूरज सा जल के देखिए सूरज के साथ-साथ
देता जगत को ज़िंदगी लावा निगल के वो
लावा निगल के देखिए सूरज के साथ-साथ
वो कहकशां का शाह है ढलता नहीं कभी
पर आप ढल के देखिए सूरज के साथ-साथ
क्या-क्या मिराज गढ़ता है सहराओं में सदा
मरुथल में चल के देखिए सूरज के साथ-साथ
अभिसार चांदनी से कभी हो नहीं सका
अरमां कुचल के देखिए सूरज के साथ-साथ
बादल छुपा ही लेते हैं सूरज के ताप को
फिर हाथ मल के देखिए सूरज के साथ-साथ
करता है चांद तारों को रोशन जमाल से
फूलों सा खिल के देखिए सूरज के साथ-साथ
हर मोजिजा उसी का फ़िज़ाओं में हर तरफ
नजरें बदल के देखिए सूरज के साथ-साथ
खुद को मिटा के ज़िंदगी को बांटता ‘शलभ’
पल-पल पिघल के देखिए सूरज के साथ-साथ।
संपर्क : फ्लैट जी – २४०२ , २४ वीं मंज़िल, टॉवर जी – दॉ ज्यूल ऑफ नोएडा, डेनसेक अपार्टमेंटस, सेक्टर ७५, नोएडा–२०१३०१ उत्तर प्रदेश