वरिष्ठ कवि। विभिन्न पत्रपत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।

 

गजल

बातें अपनी सारी करते
कुछ तो बात हमारी करते

कौन सही है कौन गलत है
कोई फैसला जारी करते

अगर बोलना लगा जरूरी
कुछ तो बातें प्यारी करते

समझ भरी हो बातें तेरी
उसकी भी तैयारी करते

सच को गर तुम सच कह देते
चाहे न तरफदारी करते

मान हमारा हमको देते
कितनी दुनियादारी करते

हम जैसे थे वैसै लगते
गर ना हल्का भारी करते

नकदा नगदी ही रखते हैं
बात न कोई उधारी करते

बात अगर कुछ वाजिब होती
हम भी हिस्सेदारी करते

बात जरा सी थी इज्जत की
हम न मारामारी करते।