मूल जर्मन : हरमन हेस,
(2 जुलाई 1877-9 अगस्त 1962) नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जर्मन साहित्यकार।मुख्य रूप से अपने तीन उपन्यासों ‘सिद्धार्थ’, ‘स्टेपेनवौल्फ़’ और ‘मागिस्टर लुडी’ के लिये परिचित।अपनी मृत्यु के बाद यूरोप में युवा वर्ग के बीच अत्यंत लोकप्रिय। प्रस्तुत है राल्फ़ मैनहाइम के अंग्रेजी अनुवाद पर आधारित कहानी का हिंदी रूपांतरण.
विजय शर्मा
प्रमुख समीक्षक और अनुवादक।आलोचना पुस्तक :‘क्षितिज के उस पार से’।
डॉक्टर फ़ाउस्ट डायनिंग टेबल पर अपने दोस्त डॉक्टर ईसेनबर्ट (क्रूर, बदनाम डॉक्टर जोहान्स एंड्रीज ईसेनबर्ट के परबाबा) के साथ बैठे हुए थे।शानदार भोजन समाप्त हो चुका था, भारी सोने के पत्तर चढ़े गिलासों में खुशबूदार वाइन भरी जा चुकी थी, भोजन के दौरान बजा रहे संगीतकार, बासुरी और वीणावादक जा चुके थे।
‘अब’, पुरानी सुरा का घूंट भरते हुए डॉक्टर फ़ाउस्ट ने कहा, ‘मैंने जो वादा किया था वह प्रदर्शन तुम्हें दिखाऊंगा।’ वह अब युवा न था और उसके गाल लटक गए थे।यह उसके त्रासद अंत के दो या तीन साल पहले की बात है।
मैं तुम्हें बता चुका हूँ कि जादूगरी का मेरा सहायक कभी-कभी ऐसी तरकीब करता है कि हम अतीत और भविष्य की चीजें सुन और देख सकते हैं।और अब उसने कुछ ऐसा अन्वेषित किया है जो सर्वाधिक कौतूहलपूर्ण और मजेदार है।उसने अकसर हमें जादुई दर्पण में अतीत के नायकों और खूबसूरत औरतों को दिखाया है।लेकिन अब उसने कानों के लिए कुछ बनाया है, एक तरह की तुरही, जिसके द्वारा जहां इस यंत्र को रखा जाएगा वहां हम दूर भविष्य की ध्वनियों को सुन सकेंगे।’
‘लेकिन मेरे प्यारे दोस्त, कहीं तुम्हारा सहायक तुम्हें धोखा तो नहीं दे रहा?’
‘मुझे नहीं लगता है’, फ़ाउस्ट ने कहा। ‘भविष्य काला जादू की पहुँच के बाहर नहीं है।तुम जानते हो, हम बिना किसी अपवाद के कार्य-कारण नियम के तहत पृथ्वी पर होने वाली सारी बातों की सदा कल्पना करते आए हैं।इसके अनुसार भविष्य अतीत से अधिक संवार नहीं जा सकता है; यह भी करणीय संबंध के नियम से ही तय होता है।फलस्वरूप भविष्य की प्रत्येक घटना वर्तमान में है, भले ही हम उसे देखने या अनुभव करने में सक्षम न हों।ठीक जिस तरह गणितज्ञ और खगोलविज्ञानी बहुत पहले आने वाले ग्रहण का सटीक समय बता सकते हैं वैसे ही यदि हम भविष्य के किसी हिस्से के दृश्य और श्रव्य को प्रतिपादित करने की कोई विधि बनाए यह संभव है।और अब मेफ़िस्टोफेलस ने एक तरह की श्रव्य छड़ी, एक जाल बनाया है, जिसमें आज से कई सौ साल बाद जो ध्वनियां होंगी वे यहां इस कमरे में पकड़ी जा सकेंगी।हमने कई बार यह किया है।हालांकि कई बार कोई ध्वनि नहीं मिली, हमें मात्र भविष्य का शून्य मिला है, एक ऐसा खालीपन जब यहां कुछ सुनाई नहीं दिया।अन्य अवसरों पर सारी चीजों को एक साथ सुना है, उदाहरण के लिए एक बार हमने एक समूह के लोगों को सुदूर भविष्य में एक कविता के बारे में बातें करते सुना, जिसमें डॉक्टर फ़ाउस्ट से मेरी बातें जुड़ी थीं।खैर, अगर हम कोशिश करें।’
उसकी पुकार पर उसका अनुचर तपस्वी की भूरी पोशाक में उपस्थित हुआ।वह अपने साथ ईजाद किया हुआ एक छोटा-सा भोंपू लिए था जिसे उसने टेबल पर रख दिया।पूरे प्रदर्शन के दौरान बिलकुल चुप रहना है, यह बता कर उसने चरखी को घुमाया और मशीन धीरे से घुरघुराने लगी।
काफी समय तक इस घुरघुराहट के अलावा कुछ और सुनाई नहीं दिया, जिसे दोनों डॉक्टर तनाव की प्रत्याशा में सुनते रहे।तब अचानक ऐसी ध्वनि आई जैसी उन्होंने पहले कभी न सुनी थी, एक जंगली, अमंगल, पैशाचिक चीत्कार।क्या यह कोई अनजाना राक्षस था अथवा कोई क्रोधित दैत्य? हिंसक आवृत्ति में ़फूट पड़ता अधैर्य, क्रुद्ध, डरावना स्वर मानो शिकार किया जाता ड्रैगन फुफकार रहा हो।डॉक्टर ईसेनबर्ट पीला पड़ गया और उसने राहत की सांस ली जब कई आवृत्तियों के बाद भयंकर चीखें दूर होती हुई विलीन हो गईं।
चुप्पी पसर गई, लेकिन तभी एक नई आवाज आई।बहुत दूर से आदमी की आवाज, आग्रही, हठी स्वर।सुनने वाले, जो कहा जा रहा था, उसका कुछ हिस्सा सुन पा रहे थे, तैयार रखे राइटिंग पैड पर उसे लिखते जा रहे थे।वाक्य, जैसे :
‘और, अमेरिका की प्रतिस्पर्धा का चमकता उदाहरण, औद्योगिक प्रगति का आदर्श प्रबल रूप से आगे बढ़ रहा है, अपनी जीत के अहसास और समाप्ति की ओर…जब एक ओर कामगर वर्ग की सुख-सुविधाएं अभूतपूर्व स्तर को प्राप्त हुई हैं… और हम बिना किसी कल्पना के आधुनिक तकनीकी के उत्पाद का आभार मान सकते हैं।हमारे पूर्वजों के बच्चों जैसे स्वर्ग के स्वप्नों से अधिक…’
पुन: चुप्पी।तब एक गहन, नया और गंभीर स्वर आया: ‘लेडीज एंड जेंटलमेन, महान निकोलस अंडरराउट की कविता की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा, बिना किसी अतिशयोक्ति के मैं कहना चाहूँगा, यह बेजोड़ कविता हमारे समय के अंतरतम के सत्व को खोलती है और हमारे अस्तित्व के बोध तथा बेतुकेपन में प्रवेश करती है।
‘वह अपने हाथों में चिमनी पकड़े है
दोनों गाल मानो ब्लाडर
और जब दबाव बढ़ता है
वह बिना डंडे की सीढ़ी चढ़ता है
वह सीढ़ियां चढ़ता जाता है
बादल उसकी शर्ट को फुलाता है
और डर है कहीं उसकी जिंदगी गलत न हो
उसका सिर चकराता है।’
डॉक्टर फ़ाउस्ट कविता का बड़ा हिस्सा कॉपी कर पाता है और ईसेनबर्ट भी कोशिश करता है।
एक सोती हुई आवाज, बिलाशक एक बुढ़िया की आवाज सुनाई दी।उसने कहा, ‘उबाऊ कार्यक्रम।क्या इसी के लिए रेडियो का आविष्कार किया था? खैर कोई बात नहीं।अब अंतत: हम कुछ संगीत सुनेंगे।’
और एक पल बाद वास्तव में संगीत फूटा, गर्जना, टर्राना, फटे वाद्य यंत्रों, बीच-बीच में घड़ियाल की टंकार के साथ यदा-कदा अनजानी भाषा में गरजती किसी के गाने की आवाज, जंगली, मादक, शक्तिशाली तालबद्ध, बारी-बारी से घनघनाता और निस्तेज, बिलकुल अजनाना, अजीबोगरीब तरह से अशिष्ट, अनिष्टकारी संगीत।
समान अंतराल पर एक रहस्यमय दोहा गूंजता :
गूगू, अगर इसे हर रात लगाएंगे
केश चिकने, चमकीले हो जाएंगे
और रुक-रुक कर पहली घातक, खतरनाक आवाज, क्रोधित घायल ड्रैगन की चीत्कार की आवृत्ति होती।
जब अनुचार ने मुस्कराते हुए अपनी मशीन बंद की, दोनों स्कॉलरों ने शर्म और हैरानी भरी नजरों का आदान-प्रदान किया, मानो वे एक घटना, निषिद्ध घटना के साक्षी बने हों।उन्होंने अपने नोट्स पढ़े और एक-दूसरे को दिखाए।
‘तुम क्या सोचते हो?’ फ़ाउस्ट ने अंतत: पूछा।
डॉक्टर ईसेनबर्ट ने अपने गिलास से एक लंबा घूंट भरा; फर्श पर नजरें गड़ाई तथा लंबे समय तक चिंतनमग्न और चुप रहा।अंत में उसने दोस्त से अधिक खुद से कहा: ‘यह भयंकर है।इसमें कोई शक नहीं कि मानवजाति, जिसकी जिंदगी का नमूना हमने सुना, पागल है।यह हमारे वंशज, हमारे बेटे के बेटे, पोते, परपोते, लकड़पोते हैं, जिन्हें हमने सुना।ऐसा घोर निराशाजनक, भ्रमित, परेशान करने वाला, भयंकर चीखें और समझ से परे, बेतुके पद्य।दोस्त फ़ाउस्ट, हमारे वंशज पागलपन में मरेंगे।’
‘मैं पूरी तरह से सहमत नहीं हूँ।’ फ़ाउस्ट ने कहा। ‘तुम्हारा विचार असंभाव्य नहीं है, पर यह जरूरत से कुछ ज्यादा निराशावादी है।ऐसी जंगली, हताश, घटनाएं और बिलाशक धरती के किसी कोने में ऐसी पागल आवाजें हों, पर जरूरी नहीं कि सारी मानवजाति पागल हो गई है।शायद कुछ सौ सालों में इन खास जगहों पर पागलखाने बनें, और हम ऐसे नमूने इनके दैनंदिन जीवन में सुनें।या संभव है जिन्हें हम सुन रहे थे वे नशे में धुत थे।मनोरंजक कार्निवाल के समय को याद करो, वे कैसे गरजते हैं।यह बिलकुल वैसा ही था।लेकिन जिसने मुझे चेतावनी दी वह दूसरी ध्वनियां थीं, वो चीखें न तो मनुष्य द्वारा निकाली जानी संभव हैं और न ही यंत्रों द्वारा।वे मुझे घोर शैतानी लगीं।केवल दानव ही ऐसी आवाजें पैदा कर सकते हैं।’
वह मेफ़िस्टो़फेलेस की ओर पलटा। ‘तुम्हें इसके बारे में कुछ मालूम है? क्या बता सकते हो हम किस तरह की आवाजें सुन रहे थे?’
‘वास्तव में’, अनुचर ने मुस्कराते हुए कहा, ‘हमने दानवी आवाजें सुनी।एक समय आएगा जब धरती, जो अभी भी आधी राक्षसों की संपत्ति है, उनकी होगी; यह इलाका नरक का हिस्सा होगा।जेंटलमेन, आपने तनिक कठोरता और अवज्ञा से इस धरा-नरक के शब्द और ध्वनि की भाषा के बारे में कहा है।मेरे विचार में यह खुशनुमा है और रुचि से निरीक्षण करें तो नरक में भी संगीत और काव्य होगा।बलियल (हिब्रू भाषा में एक दुष्ट चरित्र) इस विभाग का प्रभारी है।मैं कहूंगा कि वह इसे कुशलता से संचालित करता है।’
‘स्टोरीज ऑफ़ फ़ाइव डिकेडस’ में संकलित. 1929 में प्रकाशित कहानी।
विजय शर्मा, 9-10, 326 न्यू सीताराम डेरा, एग्रिको, जमशेदपुर-831009 मो. 8789001919