भारतीय भाषा परिषद में वाणी प्रकाशन ने खोला साहित्य घर

भारतीय भाषा परिषद के प्रांगण में वाणी प्रकाशन के ‘साहित्य घर’ का उद्घाटन कवि अरुण कमल ने किया।यह कोलकाता महानगर के मुख्य केंद्र शेक्सपियर सरणी पर हिंदी पुस्तकों की एक नई दुकान ही नहीं होगी यहां चाय पर साहित्यिक अड्डा, पुस्तक लोकार्पण और टेबुल चर्चा के आयोजन भी होंगे।इस मौके पर परिषद के निदेशक शंभुनाथ, मराठी लेखक हेमंत दिवटे, परिषद के वित्त सचिव घनश्याम सुगला, बिमला पोद्दार, मृत्युंजय कुमार सिंह, रामनिवास द्विवेदी, प्रो.संजय जायसवाल, मृत्युंजय श्रीवास्तव, अवधेश प्रसाद सिंह,  विनोद प्रकाश गुप्ता ‘शलभ’ आदि उपस्थित थे।

कोलकाता पुस्तक मेले में आज का समय और साहित्यपर

एक संवाद

वाणी प्रकाशन और भारतीय भाषा परिषद द्वारा कोलकाता पुस्तक मेला के प्रेस कॉर्नर में संयुक्त रूप से ‘आज का समय और साहित्य’ पर एक संवाद आयोजित किया गया।इस अवसर पर प्रसिद्ध कथाकार कुसुम खेमानी के आत्मकथात्मक उपन्यास ‘मारवाड़ी राजबाड़ी’ का लोकार्पण हुआ।वाणी प्रकाशन की प्रबंध निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने अतिथियों का स्वागत किया।भारतीय भाषा परिषद की अधिकारी बिमला पोद्दार ने परिषद की ओर से अतिथियों का स्वागत किया।वरिष्ठ साहित्यकार शंभुनाथ की नई पुस्तक ‘भक्ति आंदोलन और उत्तर-आधुनिक संकट’ और वरिष्ठ लेखक तथा पुलिस महानिदेशक मृत्युंजय कुमार सिंह के उपन्यास ‘गंगा रतन बिदेशी’ के विशेष दूसरे संस्करण और अलका सरावगी के नए उपन्यास ‘गांधी और सरलादेवी चट्टोपाघ्याय’ का भी लोकार्पण हुआ।

संवाद सत्र में डॉ. कुसुम खेमानी, कवि अरुण कमल, लेखक मृत्युंजय कुमार सिंह, इतिहासकार प्रो.हितेंद्र पटेल और मराठी लेखक हेमंत दिवटे ने भी अपना वक्तव्य रखा।अध्यक्षीय वक्तव्य रखते हुए डॉ.शंभुनाथ ने कहा कि पुस्तकें हमें जिंदा रखती हैं।अपनी संस्कृति को जिंदा रखना है तो पुस्तकों को जिंदा रखें।संवाद सत्र का संचालन प्रो.संजय जायसवाल ने किया।सुनील कुमार शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।