युवा कवि। भारतीय रेल में कार्यरत।
पिता होना
मनुष्य होने की तरफ
प्रबल औरविश्वसनीय प्रस्थान है
यह वृक्ष का विस्तार भर नहीं
आत्मा का उर्वर होना भी है
पिता होना
संसार की तरफ हमारी दृष्टि का
ज्यादा आत्मीय और गहरा होना है
पिता होना
बहुत तेज बहती धार का
सुंदर और सहज प्रवाह बन जाना है
पिता होना
जीवन के तमाम अभावों के बावजूद
संपन्नता का सबसे प्रामाणिक बोध है
पिता होना कवच होना है
ढाल होना है छत्र होना है
नाव होना है पिता होना
गीतों की धुन होना है
धार को तेज करने वाला पत्थर होना है
पिता होना
समय की ढलान से
लुढ़कते उम्र के पत्थर के लिए
एक शुभ आश्वासन होना है
पिता होना
जीवन की एकरसता भंग करने वाली
सबसे बड़ी घटना है
पिता होना
सभ्यता के पहिए को आगे बढ़ाने में
अपने हिस्से का जोर है
अंशदान है।
संपर्क: प्रोफेसर कॉलोनी , बिलासी टाउन , बी-देवघर , झारखंड–814112मो.9852821415