गोंडा, उत्तर प्रदेश के लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज के शोधकेंद्र ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल के जन्म दिवस पर पहले कबीर के मगहर (संत कबीर नगर) में एक कवि सम्मेलन संपन्न किया, फिर यहां से 150 किमी की ‘लोकमंगल यात्रा’ शुरू की। यह जब आचार्य शुक्ल की जन्मभूमि अगौना (बस्ती) पहुंची, यहां ‘विरुद्ध के सामंजस्य’ को केंद्र में रखनेवाले शुक्ल जी पर एक आलोचनात्मक परिसंवाद का आयोजन संपन्न हुआ। इसमें विद्वान अध्यापकों के अलावा विद्यार्थियों ने भी भाग लिया। वक्ताओं ने ‘साहित्य की लोकमंगल यात्रा’ के महत्व पर प्रकाश डाला। आयोजन ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ न्यास के सहयोग से हुआ था।

इस यात्रा में तीन दर्जन से अधिक लेखक शामिल थे। अगौना से साहित्यिक यात्रा सरयू और घाघरा के संगम पर स्थित सूकरखेत पहुंचकर संपन्न हुई। यहां ‘तुलसी के राम’ पर डॉ. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने मुख्य भाषण दिया।

यह साहित्यिक यात्रा कबीर, तुलसी और रामचंद्र शुक्ल के जीवन और साहित्य से जनमानस को जोड़ने के लिए थी। इसमें स्थानीय कवियों, शिक्षाविदों के अलावा कई सामाजिक संस्थानों ने योगदान दिया। प्रो. जयशंकर तिवारी लोकमंगल-यात्रा के आयोजन-सचिव थे।

इसी तरह अन्य महान कवियों और लेखकों के जीवन और कृतित्व से लोगों को परिचित कराने के लिए लेखकों, बुद्धिजीवियों और साहित्य-प्रेमियों को आगे आना चाहिए, क्योंकि वर्तमान समय में पढ़े-लिखे, शिक्षित लोग भी साहित्य से विच्छिन्न होते जा रहे हैं। ऐसी यात्राएं सामाजिक सद्भाव का संदेश देते हुए लेखकों का जनता से संबंध मजबूत करती हैं।

(यात्रापथ के परिकल्पक तथा सूत्रधार प्रो.शैलेंद्रनाथ मिश्र द्वारा भेजी रपट के आधार पर)