अधेड़ आदमी अभी भी बाहर खड़ा था। अंततः मीरा बाहर निकली। उसने कहा, ‘बेटी बता रही थी कि आप बहुत देर से इधर ही देख रहे हैं। मैंने भी देखा। किसी जान-पहचान वाले को ढूंढ रहे हैं या कोई और बात हैं?’
‘नहीं.. कोई बात नहीं है।’ अधेड़ हकलाया।
‘कुछ तो जरूर है।’…
‘जी, बात ये है …छोड़िए कोई बात नही है।’ वह कहते-कहते रुक गया।
‘नहीं, बताइये…।’
‘दरअसल …मैं इस घर का राजमिस्त्री हूँ। इसे मैंने बनाया था।’ उसने कहा!
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