अद्यतन संग्रह समकाल की आवाज़’ (चयनित कविताएँ)।संप्रति अध्यापन तथा महुआपत्रिका का संपादन।

कोचिंग के लड़के

वे दौड़ रहे हैं-
सडकों पर बस पकड़ने के लिए
रेलवे स्टेशनों पर ट्रेन पकड़ने के लिए
वे दौड़ रहे हैं-पूरी ताकत से
आसमान में उड़ने के लिए
जैसे उड़ने से पहले दौड़ता है तीतर
जैसे दौड़ता है- जहाज

उनकी आंखों में भविष्य झिलमिला रहा है
अपने भविष्य को संवारने की कोशिश में
वे वर्तमान को भूल रहे हैं
उनका वर्तमान है ही नहीं
वे भूतकाल में जीते हैं
बचपन की स्मृतियों को ताजा करते हुए
या फिर भविष्य के सपने बुनते रहते हैं
वे दुनिया को
अपने सपनों से सजाना चाहते हैं
एक खूबसूरत दुनिया बनाना चाहते हैं
वे भूल जाते हैं दुनिया की क्रूरता को
जिसके पंजों में उनका भविष्य फँसा हुआ है
कि उन पंजों से उन्हें अपना भविष्य निकालना है

कोचिंग के लड़के
जब दौड़ते हैं सड़कों पर
आने-जाने वाले लोग-बाग कहते हैं
देखो, कल का भारत दौड़ रहा है
दुनिया को अपनी डगों में भरने के लिए…!