अद्यतन संग्रह ‘समकाल की आवाज़’ (चयनित कविताएँ)।संप्रति अध्यापन तथा ‘महुआ’ पत्रिका का संपादन।
कोचिंग के लड़के
वे दौड़ रहे हैं-
सडकों पर बस पकड़ने के लिए
रेलवे स्टेशनों पर ट्रेन पकड़ने के लिए
वे दौड़ रहे हैं-पूरी ताकत से
आसमान में उड़ने के लिए
जैसे उड़ने से पहले दौड़ता है तीतर
जैसे दौड़ता है- जहाज
उनकी आंखों में भविष्य झिलमिला रहा है
अपने भविष्य को संवारने की कोशिश में
वे वर्तमान को भूल रहे हैं
उनका वर्तमान है ही नहीं
वे भूतकाल में जीते हैं
बचपन की स्मृतियों को ताजा करते हुए
या फिर भविष्य के सपने बुनते रहते हैं
वे दुनिया को
अपने सपनों से सजाना चाहते हैं
एक खूबसूरत दुनिया बनाना चाहते हैं
वे भूल जाते हैं दुनिया की क्रूरता को
जिसके पंजों में उनका भविष्य फँसा हुआ है
कि उन पंजों से उन्हें अपना भविष्य निकालना है
कोचिंग के लड़के
जब दौड़ते हैं सड़कों पर
आने-जाने वाले लोग-बाग कहते हैं
देखो, कल का भारत दौड़ रहा है
दुनिया को अपनी डगों में भरने के लिए…!
संपर्क :नावाडीह, बोकारो, झारखंड–८२९१४४मो.९९३१५५२९८२
भाई शिरोमणि महतो जी आप के अथक प्रयासों से झारखंड साहित्य अकादेमी का गठन हुआ है।इसके लिए आप को बहुत बहुत शुभकामनाएं।
और कविताएं तो आप अच्छी लिखते ही है।यह कविता भी अच्छी लिखी है।
‘कोचिंग के लड़के ‘भौतिकी व यांत्रिकी सिद्धांतों को कविता में पिरोकर लिखी गई एक उत्कृष्ट व समसामयिक कविता है। निश्चित ही उड़ने से पहले दौड़ना ही होता है। दौड़ना उड़ने से कहीं ज्यादा श्रमसाध्य भी।पर एक बार जी जान लगाकर जो दौड़ गया उसकी उड़ान लगभग पक्की,,