वरिष्ठ कवि, चित्रकार, वास्तुकार। हिंदीअंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन। हिंदी में 13 काव्यसंग्रह और एक यात्रावृत्त।

 

चित्र

एक चित्र बनाया
पहाड़ थे, नदियां थीं, झरने थे
और उसे पोंछ दिया
मैंने दूसरा चित्र बनाया
पेड़ थे, लताएं थीं, कलियां थीं, फूल थे
और उसे पोंछ दिया
फिर मैंने तीसरा बनाया
एक मासूम चेहरा था
बुझी-बुझी आंखें थीं
आंखों की कोर पर अटके हुए
दो कीमती आंसू
एक खाली पेट
और सिकुड़ी हुईं अंतड़ियां थीं
उन्हें भी पोंछना चाहा
कि उंगलियां कांपने लगीं
लगा, जैसे कोई करंट
चेहरे से निकल कर
मेरी उंगलियों को झनझना रहा है
झनझनाहट
मन और मस्तिष्क तक पहुंच गई
महसूस हुआ मैं उस चेहरे को पोंछ ही नहीं सकता
कि चेहरे ऐसे मिटाए नहीं जाते
मैंने तब सिर्फ उन आंखों से आंसू पोंछ दिए।