बैंक से सेवानिवृत्ति के बाद कविता लेखन में सक्रिय। अंग्रेजी में एक किताब ‘पेपर बोट राइड’ प्रकाशित।
कौन-सी थी मेरी मातृभाषा
कौन-सी थी मेरी मातृभाषा?
आंगन के किनारे
उगे टमाटर के हरे पौधों में अचानक
एक लाल टमाटर देख मैंने कहा पहली बार
‘अरे!’ जिस तोतली भाषा में वह?
या फिर सारे सपने देखे जिस भाषा में
एक अल्हड़ और मूर्ख-सी उम्र में, वह?
या जिस भाषा में लिखी कविताएं
और लिखे प्रेम के कच्चे-पक्के संदेशे, वह?
पर सच में तो
मेरी मातृभाषा वह थी
जिसमें मेरी मां रोती थी कभी-कभी
चुपचाप अकेले में!
प्रेम में असफल लड़के पर कविता
तुम कैसे लिखोगे कोई कविता
प्रेम में असफल लड़के पर
उसकी चमकती आंखों में एकाएक बुझे
तारों का अंधेरा
और उसके लंबे सधे पैरों की
डगमगाहट
तुमको दिखेगी ही नहीं
अगर तुम देखने लगोगे उसे
ऐन सामने से
पर्स के आखिरी रुपयों से खरीदे गुलदस्ते
और बहुत सोच कर खरीदे
छोटे-छोटे तोहफों में छुपे उसके नर्म गीत
तुम सुन नहीं पाओगे कवि
क्योंकि बोलकर तो वह गाता नहीं था
सोचकर हँसता भी नहीं था तब
बस दमकता था
अपनी खुशी में उन दिनों दिन-रात
तुमने अगर सुन ली हो कभी
देर रात की निस्तब्धता में
किसी लापरवाह एड़ी से कुचले
हरसिंगार के फूलों की धीमी घुटी हुई कराह
जो दबाते-दबाते भी निकल पड़ी हो
भींचे हुए होंठों से
तो तुम लिख लोगे एक कविता
उस लड़के पर
जो अब गाता नहीं कुछ दिनों से
लेकिन अगर तुमने कोशिश की पढ़ने की
कुछ भी उसके चेहरे पर
तो सिर्फ एक गीला पठार दिखेगा वहां
और तुम कैसे लिखोगे कोई कविता
एक पठार पर?
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